जिले के नॉन फंक्शनल 6 प्रसव केन्द्र हो जाएंगे बंद, फंक्शनल सेंटर की काया बदलने की तैयारी
अनूपपुर। आदिवासी बाहुल्य जिले के रूप में शामिल अनूपपुर जिले में कुपोषण बड़ी समस्या है। जिसमें शिशु-मातृ जन्म-मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जिले में ४१ प्रसव केन्द्र संचालित किए गए। जिसमें संसाधनों को उपलब्ध कराते हुए कर्मचारियों को भी तैनात किए गए। लेकिन यहां आस पास सीएचसी या पीएससी सेंटर होने के साथ साथ निजी अस्पतालों में नागरिकों के रूझान बढऩे के कारण कुछ प्रसव केन्द्र नन फंक्शनल हो गए। आलम यह रहा कि यहां संसाधनों के बाद भी प्रसव के लिए माताएं केन्द्र तक नहीं पहुंची। जिसके कारण अनेक प्रसव केन्द्र अपने निर्धारित लक्ष्य को भी नहीं पा सके। इसे देखते हुए अब शासन ने ऐसे प्रसव केन्द्र को चिह्नित कर बंद करने का फैसला लियाहैं। जिले में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने और शिशु-मातृ मौत की दर को कम करने खोले गए ४१ प्रसव केन्द्रों में ६ प्वाईंट को बंद करने का निर्णय लिया गया है। जिसका प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने शासन को भेजा गया है। सीएमएचओ डॉ. एससी राय ने बताया कि ये ६ प्रसव केन्द्र नन फंक्शनल की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। प्रावधानों के अनुसार उप स्वास्थ्य के लिए कम से ३ प्रसव और पीएचसी के लिए १० प्रसव माह (३० दिन)में कराना अनिवार्य है। लेकिन अब जिले के ६ प्रसव प्वाईंट को बंद कर जो चालू हालत में केन्द्र हैं उन्हें और बेहतर बनाकर स्वास्थ्य लाभ दिया जाएगा। चिकित्सकों के दल के साथ स्टाफ नर्स की भी संख्या बढ़ाई जाएगी। जबकि लाइफ सपोर्ट उपकरणों के साथ चालू संस्थाओं का कायाकल्प भी किया जाएगा, ताकि उप स्वास्थ्य केन्द्र, पीएचसी, सीएचसी में आने वाली प्रसूताओं को दूर-दराज नहीं भटकना पड़े।
ये सेंटर बंद हो जाएंगे, नजदीकि केन्द्र को मिलेगा लाभ
सीएमएचओ ने बताया कि जिले में ४१ प्रसव केन्द्र बनाए गए थे। जिसमें १२ सेंटर काम नहीं कर रहे थे। इन १२ सेंटर में माह में ३ भी नहीं प्रसव हो पा रहे थे। इसमें ६ सेंटर पुष्पराजगढ़ के खांटी, बोदा, लेढरा, जैतहरी विकासखंड के सिंघौरा, कोतमा का मलगा और अनूपपुर विकासखंड के पोंडी-चोंडी का कायाकल्प करते हुए चालू कराया गया है, यहां संतोषजनक प्रसव रिपोर्ट पहुंची रही है। जबकि जैतहरी का लपटा, अनूपपुर के लोढी, बरगांव, कोतमा का सकोला और पुष्पराजगढ़ विकासखंड के अमगवां और टिटही को बंंद कराया जाएगा। ये सेंटर आस पास के बड़े सेंटर के रास्ते से जुड़े हैं। जिसके कारण प्रसूताएं बड़े सेंटर की ओर रूख कर जाती है। जबकि पूर्व में कोतमा के सकोला प्रसव केन्द्र पर माहभर में ३२ प्रसव कराए जा चुके हैं। लेकिन अब बदरा और कोतमा के नजदीक होने के कारण सकोला सेंटर पर प्रसूता नहीं पहुंचती। जिले के ४१ सेंटर में अनूपपुर में ७, जैतहरी में ५, कोतमा में १३ और पुष्पराजगढ़ में १६ सेंटर हैं।
बॉक्स: कोयलारी में हर माह ३०-३५ प्रसव, पिछड़े क्षेत्र में अग्रणी
बताया जाता है कि जिले में पुष्पराजगढ़ का कोयलारी प्रसव प्वाईंट संस्थागत प्रसव में सबसे आगे हैं। यहां एक स्टाफ नर्स और एक एएनएम व सपोर्ट स्टाफ के साथ प्रत्येक माह ३०-३५ प्रसव कराया जा रहा है। सीएमएचओ बताते हैं कि यहां संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करना और सुरक्षित प्रसव की जिम्मेदारी निभाने के कारण यहां कई माह से लगातार यही स्थिति बनी हुई है। जिसकी प्रदेश स्तर से सराहना की जा रही है। वहीं उन्होंने बताया कि जिले में परिवार नियोजन के लिए २२ हजार का लक्ष्य हैं, लेकिन पिछले तीन साल से १६ हजार से अधिक डिलेवरी हो रही है।
वर्सन:
जो सेंटर कार्यरत नहीं है उन्हें अब बंद कर दिया जाएगा, साथ ही जो चालू है उन्हें और बेहतर बनाकर मॉडल सेंटर के रूप में परिवर्तित करना है। हमने शासन को ६ सेंटर बंद करने के प्रस्ताव भेजे हैं, शेष ३५ को संसाधनयुक्त केन्द्र बनाए जाएंगे।
डॉ. एससी राय, सीएमएचओ अनूपपुर।
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