जानिए कब है अजा एकादशी मुहूर्त और पारण
जानें क्यों महत्वपूर्ण है अजा एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत को सभी पापों से मुक्ति पाने का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम माना गया है। शास्त्रों में अन्य एकादशियों के बीच अजा एकादशी को विशेष स्थान प्राप्त है। इसलिए आज हम आपको, अजा एकादशी के महत्व के बारे में बताएंगे।
एकादशी को हम, ‘हरी दिन’ और ‘हरी वासर’ के नाम से भी जानतें है। अजा शब्द का अर्थ है - 'जिसका जन्म न हो’। इस शब्द का उपयोग, आदिशक्ति के लिये किया जाता है। तो आईये अब जानतें है, इसके महत्व के बारे में-
ऐसा माना जाता है, कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और विधि विधान से इस व्रत का पालन करता है, उनपर भगवान श्री हरि, सदेव अपनी दया-दृष्टि बनाये रखते हैं और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन व्रत रखने से, समस्त पाप और कष्ट दूर हो जातें हैं। केवल यही नहीं, अजा एकादशी के व्रत को करने से, पूर्वजन्म के सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।
अजा एकादशी में, भगवान विष्णु के ‘उपेन्द्र’ स्वरूप की पूजा अरचना की जाती है और रात्रि में, जागरण किया जाता है। इस पवित्र एकादशी के फल को, लोक और परलोक दोनों में ही, श्रेष्ठ माना गया है। जितना पुण्य मनुष्य को हज़ार गौदान करने से मिलता है, उतना ही पुण्य, इस व्रत को सच्चे मन से करने से प्राप्त होता है। इसके अलावा, मनुष्यों द्वारा जाने-अनजाने में किए गये सभी पापों से मुक्ति पाने और जीवन में सुख-समृद्धि अथवा शांति प्राप्ति के लिये, इस व्रत का पालन किया जाता है।
शुभ मुहूर्त:
आपको बता दें, इस वर्ष अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास में, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद, मंगलवार, 23 अगस्त को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी का पारणा मुहूर्त, 24 अगस्त सुबह 05:54 से 08:30 तक है। इसकी अवधि, करीब 2 घंटे 30 मिनट की है।