पति के लंबी आयु के लिए कल करें हरतालिका तीज व्रत

in #anuppur2 years ago

हरतालिका तीज पर इस आरती से मिलेगा पति का साथ, कथा के प्रभाव से होगा भरपूर स्वास्थ लाभ
: माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती की आरती करने और व्रत कथा सुनने से पति का अखंड साथ मिलता है और परिवार को स्वास्थ लाभ पहुँचता है.
हरतालिका तीज पर इस आरती से मिलेगा पति का साथ, कथा से होगा स्वास्थ लाभ

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. यूं तो यह पर्व सुहागिनों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है लेकिन कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत का पालन करती हैं. इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्त 2022, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन महिलाएं व्रत रख पूर्ण विधि विधान के साथ महादेव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं और अपने सुहाग की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं. माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती की आरती करने और व्रत कथा सुनने से पति का अखंड साथ मिलता है और परिवार को स्वास्थ लाभ पहुँचता है.

हरतालिका तीज के दिन करें इन विशेष मंत्रों का जाप, पति को लंबी आयु होगी प्राप्त

हरतालिका तीज
जय पार्वती माता जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा
देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।
जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

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हरतालिका तीज कथा
हरतालिका तीज व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था. पौराणिक कथा के अनुसार, सखियों द्वारा हरित मां पार्वती ने इस कठोर व्रत को किया था, इस व्रत के फलस्वरुप ही माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाया था. इस व्रत के पीछे माता पार्वती और भगवान शिव की कथा काफी प्रचलित है. कहा जाता है कि पिता के यज्ञ में अपने पति शिव का अपमान देवी सती सहन नहीं कर पाई. उन्‍होंने खुद को यज्ञ की अग्नि में भस्‍म कर दिया.

अगले जन्‍म में उन्‍होंने राजा हिमाचल के यहां जन्‍म लिया और इस जन्‍म में भी उन्‍होंने भगवान शंकर को ही पति के रूप में प्राप्‍त करने के लिए तपस्‍या की. देवी पार्वती ने तो मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्‍या में लीन रहतीं थीं. पुत्री की यह हालत देखकर राजा हिमाचल को चिंता सताने लगी.इस संबंध में उन्‍होंने नारदजी से चर्चा की. उनके कहने पर उन्‍होंने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान विष्‍णु से कराने का निश्‍चय किया.

पार्वती जी विष्‍णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं, पार्वतीजी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं. इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा. भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र मे माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की स्तुति में लीन होकर रात्रि जागरण किया, उन्होंने अन्न का त्याग भी कर दिया. ये कठोर तपस्या 12 साल तक चली, तब माता के इस कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और इच्छानुसार उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया.

इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है, क्योंकि पार्वती की सखी उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थी. देवी पार्वती ने मन ही मन भगवान शिव को अपना पति मान लिया था और वह सदैव भगवान शिव की तपस्‍या में लीन रहतीं थीं. पार्वती जी के मन की बात जानकर उनकी सखियां उन्‍हें लेकर घने जंगल में चली गईं. इस तरह सखियों द्वारा उनका हरण कर लेने की वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका व्रत पड़ा.

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