किसान नर्मदा नदी में बाध बनाए जाने का कर रहे विरोध

in #anunppur2 months ago

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अपर नर्मदा बांध परियोजना के विरोध में उतरे हजारों किसान
11 पंचायत के 6 हजार किसान ने सौपा राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

अनूपपुर। जिले के अंतिम छोर में स्थित शोभापुर से निकली नर्मदा नदी पर अपर नर्मदा परियोजना के तहत बाध बनाए जाने की तैयारी की जा रही है जिसके शुरुआत से ही उसका विरोध शुरू होने लगा है किसानों का कहना है कि जिस जगह पर नर्मदा नदी का बांध तैयार हो रहा है उसके आसपास लगी सैकड़ो एकड़ की जमीन पर हो रही खेती से लगभग 6 हज़ार किसान के आलावा उनका ढाई लाख आदिवासी किसान परिवार विस्थापित हो जाएंगे। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता। ऐसे में आज हजारों की संख्या में किसान कलेक्टर में पुष्पराजगढ़ विधायक बुंदेलाल मार्को की अगवाई में राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सोपा है और बांध न बनाए जाने की मांग की गई है।
हजारों की संख्या में आज जिला मुख्यालय स्थित कलेक्टर कार्यालय में किसानों का यह धरना प्रदर्शन काफी देर तक जारी रहा स्पीच पुलिस प्रशासन के द्वारा भी किसी भी तरह की स्थिति के पटने के लिए तैयारी की गई थी किसानों के द्वारा जहां कलेक्टरेट रोड पर 2 किलोमीटर तक रैली निकाली गई तो वहीं 11 ग्राम पंचायत के किसान इस रैली में अपनी आपबीती सुनने जिला प्रशासन के पास पहुंचे हुए थे। किसानों का कहना था कि इस अपर नर्मदा परियोजना के बनने से लगभग 11 ग्राम पंचायत में रह रहे 6000 से अधिक किसानों की जमीन है बांध बन जाने के चलते भराव क्षेत्र में आ जाएंगे। जिससे वहां पर किसानों के द्वारा ली जा रही दो से तीन फसली फसल पूरी तरह चौपट हो जाएगी। समूचा इलाका कृषि पर आधारित है ऐसे में बांध बन जाने था यहां पर पलायन की भी समस्या क्षेत्र में आ सकती है।
, किसानों की इस रैली का प्रदर्शन पुष्पराजगढ़ के विधायक बुंदेलाल सिंह मार्को खुद कर रहे थे उनका कहना है कि अनूपपुर जिला पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में शामिल है जिसके चलते यहां पर वन अधिकार मान्यता प्राप्त पैसा नियम लागू होता है लेकिन जिला प्रशासन इस पर ध्यान न देकर भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास के तहत लोगों पर जमीन खाली करने और बांध बनाए जाने के पक्ष में किसानों को परेशान करने का काम कर रहे हैं।
किसानों के प्रदर्शन में कई किसानों ने अपनी आपबीती सुनाई पीड़ित किसानों का कहना है कि उससे कई वर्षों से बांधना बनाए जाने की लड़ाई हमारे द्वारा लड़ी जा रही है लेकिन इस बार जिला प्रशासन शक्ति से काम कर रहा है और धारा 11 की कार्रवाई करने पर आमादा है जबकि पेसा एक्ट कानून में इस बात का सांप उल्लेख है कि ग्राम पंचायत की सहमति जरूरी है। लेकिन जिला प्रशासन लगातार इस मामले में अनदेखी कर रहा है।
अपना सब कुछ खोता देख अब किसानों में अब जान आक्रोस देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी नहीं मानती है तो वह किसी भी हद तक जा सकते हैं।
इस जन आक्रोश रैली की अगुवाई कर रहे पुष्पराजगढ़ विधायक बुंदेलाल सिंह मार्को ने कहा है कि लगभग 70 गांव की इस बाध की जद में आ रहे हैं जिस बात का विरोध किसान कर रहे हैं किसानों का कहना है की मां नर्मदा नदी पर हम किसी भी तरह का बाध नहीं बनने देंगे और अगर प्रशासन कोई कार्रवाई करता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
जिस जगह पर यह अपर नर्मदा परियोजना बांध का निर्माण कार्य के लिए सर्वे कार्य किया जा रहा है वह उदगम स्थल से मात्र 40 किलोमीटर दूर है, उद्गम के समीप बांध के निर्माण के चलते जल स्रोत बंद होने की संभावना ज्यादा रहती है इन सबके अलावा 1997 में नर्मदा नदी के दोनों छोर में आए भूकंप का केंद्र बिंदु भी यही नर्मदा नदी के आसपास का इलाका रहा है ऐसे में बड़े बांध के निर्माण से भविष्य में किसी तरह की भी अनहोनी होने की संभावना को आस्वीकार नहीं किया जा सकता।