Supreme court,, सुप्रीम कोर्ट ने कहा महिलाएं और बच्चे हैं सबसे संवेदन शील गवाह

in #anilbisen2 years ago

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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि महिलाएं और बच्चे सबसे संवेदनशील या कमजोर गवाह हैं। ऐसे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को संवेदनशील या कमजोर गवाहों के बयान केंद्रों (वीडब्ल्यूडीसी) के लिए नोडल एजेंसी होना चाहिए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि यह मुद्दा सीधे तौर पर उन महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा से संबंधित है जो कमजोर गवाहों की स्थिति में हैं। ऐसे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की चेयरपर्सन के परामर्श से सभी गतिविधियों में समन्वय जारी रखे। पीठ ने पाया कि शीर्ष अदालत ने पहले भी कहा था कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोडल मंत्रालय होना चाहिए और वह इसकी निगरानी करे।

वहीं न्याय मित्र वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने दलील दी कि वीडब्ल्यूडीसी के लिए दिशानिर्देश तैयार करने वाली जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति के साथ बेहतर समन्वय के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बजाय कानून मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाया जाए। इस पर पीठ ने कहा कि यदि इसके समन्वय की आवश्यकता है तो न्याय विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय जरूरी सहायता प्रदान करेगा। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अनुरोध किया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को प्रतिवादी के रूप में लाया जाए।

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने अपने फैसले में कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के पक्ष में खड़ा होगा। अदालत ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पर जस्टिस गीता मित्तल के साथ समन्वय की जिम्मेदारी का आदेश जारी किया था। मंत्रालय को समन्वय मंत्रालय के रूप में नामित किया गया है। तथ्य यह है कि यह मुद्दा सीधे तौर पर उन महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा से संबंधित है जो कमजोर गवाहों की स्थिति में हैं। इसलिए मंत्रालय चेयरपर्सन के परामर्श से समन्वय करना जारी रखेगा। यदि न्याय विभाग के साथ कोई समन्वय आवश्यक है, तो एएसजी सुनिश्चित करेगा कि कि इस संबंध में सुविधाजनक सहायता उपलब्ध कराई गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को देश के सभी हाईकोर्ट से आग्रह किया गया था कि वे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा वीडब्ल्यूडीसी के लिए तैयार मॉडल दिशानिर्देशों पर छह हफ्ते के अंदर अपना जवाब दें ताकि समिति की सिफारिशों को वीडब्ल्यूडीसी के लिए एक समान राष्ट्रीय मॉडल के तौर पर लागू किया जा सके।

छह हाईकोर्ट जजों का तबादला
इस बीच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने देश के छह हाईकोर्ट जजों का तबादला करने की सिफारिश की है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने उड़ीसा हाईकोर्ट से जस्टिस चितरंजन दास को कलकत्ता हाईकोर्ट जबकि आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट से जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह को पटना हाईकोर्ट भेजने के लिए कहा है। इसी प्रकार त्रिपुरा हाईकोर्ट से जस्टिस सुभाशीष तालपत्र को उड़ीसा हाईकोर्ट और मणिपुर हाईकोर्ट से जस्टिस एल जमीर को गौहाटी हाईकोर्ट भेजा जाएगा। कॉलेजियम ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट से जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर को बॉम्बे हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की है।Screenshot_2022_0528_064258.jpg

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