55 आंगनबाड़ी भवन अधूरे, 82.5 लाख रुपये की आवश्यकता

आजमगढ़ 10 सितम्बरः (डेस्क)आजमगढ़ में एमएसडीपी योजना के तहत आंगनबाड़ी भवनों का अधूरा निर्माण

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आजमगढ़ जिले के मिर्जापुर और सठियांव ब्लॉक में एमएसडीपी योजना के अंतर्गत कुल 66 आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए वर्ष 2017 में शासन से 496.32 लाख रुपये स्वीकृत किए गए थे। इनमें से सठियांव ब्लॉक में 29 और मिर्जापुर ब्लॉक में 37 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कराया जाना था। प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण पर 7.52 लाख रुपये खर्च किए जाने थे।

निर्माण कार्य में लेटलतीफी
निर्माण की जिम्मेदारी यूपीडा को दी गई थी। शासन की तरफ से कार्यदायी संस्था को पूरी धनराशि अवमुक्त हो चुकी है। इनमें से केवल 11 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण कार्य पूरा हो सका है और एक आंगनबाड़ी केंद्र विभाग को हैंडओवर भी कर दिया गया है। कार्यदायी संस्था द्वारा धीमी गति से कराए जा रहे कार्य के चलते 55 आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण अधर में लटका हुआ है।

कार्यदायी संस्था का कहना है कि शासन से पैसा समय से न मिलने के कारण निर्माण समय से शुरू नहीं हो सका। निर्माण सामग्री के दामों और जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी के कारण भवन निर्माण की लागत बढ़ गई, जिससे निर्माण कार्यों में दिक्कत आई है।

धनराशि की मांग
कार्यदायी संस्था ने अब 82.5 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि की मांग की है। हालांकि, शासन की तरफ से पहले ही 496.32 लाख रुपये की धनराशि पांच किस्तों में जारी की जा चुकी है।

बच्चों को नहीं मिल पा रहा लाभ
कार्य में लेटलतीफी के कारण बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एमएसडीपी योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण गरीब और अल्पसंख्यक बच्चों के लिए किया जा रहा है, ताकि वे समुचित पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं प्राप्त कर सकें। लेकिन कार्यदायी संस्था की उदासीनता के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।

भविष्य की योजना
आगे चलकर, जिला प्रशासन को चाहिए कि वह कार्यदायी संस्था पर दबाव बनाकर निर्माण कार्य को तेज करवाए और बकाया धनराशि जारी करवाए। साथ ही, भविष्य में होने वाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था का चयन करते समय उसकी क्षमता और पिछले कार्यों के प्रदर्शन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

इस समस्या का समाधान करने के लिए जिला प्रशासन को कार्यदायी संस्था के साथ-साथ अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करना होगा। साथ ही, इस प्रकार की स्थितियों से बचने के लिए भविष्य में होने वाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था का चयन करते समय उसकी क्षमता और पिछले कार्यों के प्रदर्शन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष
आजमगढ़ जिले में एमएसडीपी योजना के तहत आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में हो रही लेटलतीफी और कार्यदायी संस्था की उदासीनता चिंता का विषय है। बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला प्रशासन को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करके स्थिति को सुधारना होगा। साथ ही, भविष्य में होने वाले किसी भी निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था का चयन करते समय उसकी क्षमता और पिछले कार्यों के प्रदर्शन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।