अयोध्या में एंबुलेंस घोटाले: टेंडर पर सवाल उठाने के बाद नोडल अधिकारी को हटाया गया,

अयोध्या 13 सितंबर: (डेस्क)हाल ही में, सिद्धार्थनगर में 1.07 करोड़ रुपये के टेंडर के संबंध में एक महत्वपूर्ण घटना घटित हुई है। इस टेंडर में अर्ह बताई गई तीन फर्मों के बीच समानता बताने वाले नोडल अधिकारी, एसीएमओ आरसीएच डॉ. एके गुप्ता को केवल एक सप्ताह के भीतर हटा दिया गया। यह निर्णय प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कुछ गंभीर कदमों का हिस्सा है, जो स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए लिए गए हैं।

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घटना का विवरण
डॉ. एके गुप्ता को लगभग सात महीने पहले इस चार्ज पर नियुक्त किया गया था। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें टेंडर प्रक्रिया में फर्मों की अर्हता की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। हालांकि, उनके द्वारा समानता बताने के बाद, उन्हें अचानक हटा दिया गया, जिससे कई सवाल उठने लगे हैं।

प्रशासनिक कार्रवाई
उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ. राजा गणपति आर ने डॉ. गुप्ता से समस्त चार्ज छीनने का आदेश दिया। इस आदेश में कहा गया कि डॉ. गुप्ता केवल रेडियोलॉजिस्ट के रूप में कार्य करेंगे। यह कदम तब उठाया गया जब यह पाया गया कि डॉ. गुप्ता ने अपने चार्ज को सही तरीके से नहीं संभाला।

स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता
यह घटना स्वास्थ्य विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर करती है। टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग हो सके और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

नोडल अधिकारी की भूमिका
नोडल अधिकारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, खासकर जब बात स्वास्थ्य सेवाओं की होती है। उन्हें न केवल टेंडर प्रक्रिया की निगरानी करनी होती है, बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी प्रक्रियाएँ सही तरीके से और निष्पक्षता से चलें। डॉ. गुप्ता की हटाने की कार्रवाई ने इस बात को स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्य विभाग में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

भविष्य की संभावनाएँ
इस घटना के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि स्वास्थ्य विभाग में और अधिक सख्त नियम लागू किए जाएंगे। अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।

निष्कर्ष
सिद्धार्थनगर में हुई यह घटना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह दर्शाता है कि प्रशासनिक स्तर पर उठाए गए कदमों से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित