फर्जी प्रपत्र वालों की गिरफ्तारी के बाद से गायब होने लगे रोहिंग्या

in #alighar2 years ago

फर्जी प्रपत्रों के आधार पर भारत में रहने रोहिंग्या मुस्लिमों की धरपकड़ के बाद से अलीगढ़ में रोहिंग्या की संख्या लगातार घट रही है। खास बात यह है कि शहर में रोहिंग्या की सर्वाधिक आबादी वाले मकदूम नगर में मात्र 60-70 लोग ही बचे हैं, जिनमें महिलाओं व बच्चों की संख्या अधिक है। पुरुषों के नाम पर चंद बुजुर्ग बचे हैं। ये लोग यहां से कहां जा रहे हैं, कोई सटीक जानकारी नहीं। मगर इनपुट है कि ये यहां से पंजाब व जम्मू की ओर रुख कर रहे हैं। इनके दो सरदार (मुखिया) गायब हो गए हैं। वर्तमान में इनका यहां कोई सरदार नहीं है, जो इलाके के पार्षद या इंटेलीजेंस के संपर्क में रहता हो। इंटेलीजेंस इनपुट के अनुसार इन दिनों शहर में करीब 100 रोहिंग्या हैं। इनके ऑनलाइन वर्क परमिट आदि बन चुके हैं।

शहर में करीब 12 वर्ष पहले म्यांमार से रोहिंग्या मुस्लिमों का उस समय आना शुरू हुआ, जब यहां मीट फैक्ट्रियों में मजदूरों की डिमांड हुई। विदेश एक्सपोर्ट वाले मीट कटिंग के माहिर इन मजदूरों को यहां काम मिलने लगा तो कुछ मीट फैक्ट्रियों में ही रहने लगे तो कुछ आसपास आकर बस गए। उस समय ये वर्क परमिट पर यहां आए थे। सबसे पहले मकदूम नगर इलाके में इनका बसना शुरू हुआ। धीरे-धीरे शहर में इनकी संख्या 1000 के आसपास पहुंच गई। ये भुजपुरा, जीवनगढ़ इलाके में भी बसने लगे। इनकी आड़ में बंगलादेश सीमा पार कर फर्जी तरीके से भारत आने वाले भी यहां आकर बस गए।

पिछले वर्ष भारत सरकार की अवैध रूप से रहने वाले रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने पर यूपी एटीएस ने इनकी गिरफ्तारी शुरू की। पिछले वर्ष में एटीएस व जिला पुलिस ने एक महिला सहित पांच लोग गिरफ्तार किए थे, जिनमें सभी फर्जी प्रपत्रों के सहारे भारत में बसे और सोना व महिला तस्करी के धंधे में लिप्त पाए गए। इनके दस्तावेजों की जांच हुई तो मेरठ में बसे एक रोहिंग्या द्वारा इन्हें बनवाना पाया गया। इसके बाद से यहां से रोहिंग्या मुस्लिम कम होने लगे हैं। इंटेलीजेंस इनपुट के अनुसार इन दिनों शहर में करीब 100 रोहिंग्या हैं। इनके ऑनलाइन वर्क परमिट आदि बन चुके हैं।
मकदूम नगर में मात्र 60-70 लोग
मकदूम नगर इलाके में बसे परिवारों के बीच एक सरदार हुआ करता था। पिछले दिनों में इनके दो सरदार एकाएक गायब हो गए हैं। ज्यादातर पुरुष गायब हुए हैं। अब महिलाएं, बच्चे व सात-आठ बुजुर्ग बचे हैं। करीब 20 बच्चे हैं, जिन्हें मोहल्ले में एक एनजीओ पढ़ाता है। इलाके के पार्षद पति अकरम बताते हैं कि अब ये महिलाएं घरों व हड्डी गोदाम में काम करके परिवारों को पाल रही हैं। अब ये लोग ज्यादा किसी से घुलते-मिलते नहीं हैं।
सात वर्ष से अलीगढ़ में था खलीक, धरपकड़ पर भागा जम्मू
अलीगढ़। चार दिन पहले अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया रोहिंग्या खलीक पिछले सात वर्ष से यहां रह रहा था। वह यहां इमाम बनकर भुजपुरा की मस्जिद में रहा और फिर अब किराये पर सिविल लाइंस के जोहराबाग में जाकर बस गया। एटीएस द्वारा रिमांड पर लेकर हो रही पूछताछ में उसने स्वीकारा है कि जब फर्जी प्रपत्रों पर रहने वालों की गिरफ्तारी शुरू हुई तो वह खुद दहशत में जम्मू भाग गया था। बाद में अब लौटा तो उसकी गिरफ्तारी हो गई। उससे पूछताछ में प्रपत्र बनाने वाले आदि की जानकारी मिल रही है। एटीएस उससे पूछताछ में जुटी है। ब्यूरो