अलीगढ़ बच्ची से दुष्कर्म व हत्या में अदालत का 36 दिन में फैसला,अलीगढ़ के इतिहास में ये पहला मामला

in #aligarh2 years ago

images (11).jpegउत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में जिला सत्र न्यायालय की अदालत ने नाबालिक बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में मात्र 36 दिन के अंदर ही अहम फैसला सुनाया है। जहां बच्ची के साथ दुष्कर्म ओर उसकी हत्या करने वाले आरोपी को पाक्सो की विशेष अदालत ने मिशन शक्ति के तहत इस जघन्य वारदात के आरोपी को दाेषी मानते हुए आजीवन कारावास यानि मृत्यु तक की सजा सुनाई गई हैं। अलीगढ़ के इतिहास में यह पहला मामला है। जब किसी आरोपी को जुर्म में दोषी मानते हुए 36 दिन के अंदर ही मृत्यु तक का फैसला सुनाया गया हो।

आपको बताते चलें उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ की कोतवाली इगलास कस्बे में एक माह पहले की ही नौ वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद रिश्ते के मामा ने बेरहमी से ईटों से कुचलकर हत्या कर दी थी। बच्ची की दुष्कर्म के बाद हुई निर्मम हत्या ने सबको हिलाकर रख रख दिया था। वारदात के बाद पीड़ित परिवार की एक ही गुहार थी, उनकी मासूम बेटी के दुष्कर्मी हत्यारे को जल्द-जल्द से सजा सुनाई जाए। हुआ भी कुछ ऐसा ही जहां अलीगढ़ जिला सत्र न्यायालय में एडीजे नंदप्रताप ओझा की पाक्सो की विशेष अदालत ने मिशन शक्ति के तहत इस ख़ौफ़नाक अपराध के आरोपी को दाेषी मानते हुए आजीवन कारावास (मृत्यु तक) की सजा सुनाई गई। एडीजे नंदप्रताप ओझा की पाक्सो की विशेष अदालत 36 दिन के भीतर सुनाया गया ये फैसला अलीगढ़ के इतिहास में पहला मामला हैं। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद विवेचना करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दायर की गई थी जिसके बाद अदालत में ट्राइल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 36 दिन के अंदर अदालत ने फैसला सुना दिया गया। पोस्को की विशेष अदालत आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद हत्यारे तो ₹50000 जुर्माने से भी दंडित किया गया इसके साथ ही ₹25000 पीड़ित बच्ची के पिता को बतौर क्षतिपूर्ति देने के लिए आदेश दिए गए हैं अदालत द्वारा जिस वक्त फैसला सुनाया जा रहा था। उस दौरान अलीगढ़ की जनता फैसले का इंतजार कर रही थी और जैसे ही अदालत के द्वारा आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने का फैसला सुनाया। उसके बाद अलीगढ़ जिले में ये फैसला चर्चा का विषय बना रहा।

आपको बताते चलें विशेष लोक अभियोजक महेश सिंह ने बताया कि कोतवाली इगलास कस्बे में छह मार्च को हाबूड़ा समाज की नौ साल की बालिका को उसी के रिश्ते का मामा मनोज दुकान से कुरकुरे दिलाने के बहाने अपने साथ ले गया था। रात करीब 11 बजे बालिका का शव हाथरस रोड स्थित लकड़ी की टाल के पीछे प्लाट में पड़ा मिला था। उसकी ईंट से कुचलकर हत्या की गई थी। जब बच्चे घर नहीं पहुंचे तो परिजनों ने तलाश शुरू कर दी बच्ची को तलाश करने के दौरान बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या करने वाला रिश्ते का मामा तलाश कराने में उनके साथ जुटा रहा उस दौरान बच्ची की उन्होंने अपने परिजनों को बताया कि उनकी बहन को रिश्ते का मामा अपने साथ ले गया था। बच्चियों के इतना कहते ही पिता लोगों ने के मामा को मौके पर पकड़ लिया ओर बच्ची की लाश बरामद की गई। बच्ची के पिता ने मुकदमा दर्ज कराकर बताया था कि खाली प्लाट में कस्बे के दो लोगों ने मनोज को बच्ची का ईंट से सिर कुचलते हुए देखा था। जिसके बाद पुलिस ने बच्ची को सब को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद सामने आया था कि बच्ची के साथ दुष्कर्म भी हुआ था।पुलिस ने मनोज को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। पुलिस पूछताछ में आरोपी मनोज ने जुर्म भी कबूल लिया था। इसके बाद पुलिस ने चार दिन के अंदर ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया। अदालत में पुलिस ने मजबूती से विवेचना कर चार्जशीट दाखिल करते हुए साक्ष्य रखे। अदालत में चार्जशीट दाखिल होते हैं अभियोजन पक्ष की तरफ से भी तेजी से पैरवी की गई। जिसके चलते अदालत में महज 36 दिन में पूरे मुकदमे की ट्रायल प्रक्रिया पूरी हो गई। इसके बाद गुरुवार को एडीजे पॉस्को की अदालत ने आरोपी मनोज को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक महेश सिंह ने कहा कि इस मामले में अदालत में फांसी की मांग की थी। मगर अदालत ने खास फैसला सुनाया है।

इसके साथ ही अदालत ने 36 पन्नों के फैसले में इस बात का उल्लेख किया है कि धारा 302 (हत्या) में मनोज को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जबकि पाक्सो एक्ट की धारा 5/6 के तहत मनोज को शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा। आरोपी मनोज को अंतिम सांस तक पूरा जीवन अब जेल में ही बिताना होगा।क्योंकि बच्ची का सिर बुरी तरह कुचला था। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के माथे पर बाएं हिस्से में चोट थी।उसकी आंतरिक हड्डी मस्तिष्क की झिल्ली व मस्तिष्क भी फटा हुआ था। इसमें खून भी जमा था। फेंफड़े कंजस्टेड हो गए थे। इसमें हाइमन टोर्न फटा हुआ आया था। जबकि इस पूरे मामले को लेकर एसएसपी ने की मानिटरिंग ओर 13 कार्यदिवस में ही सजा दिलाई। इस ख़ौफ़नाक वारदात के इस मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी खुद अपने आप मानिटरिंग कर रहे थे।

अभियोजन साक्ष्य के बाद आरोपी मनोज ने अपने बयान में कहा था कि उसने मर्जी से शराब पी। दारू पीने के बाद जब वह लकडी की टाल की तरफ सिगरेट पीने गया। वहां पहले से ही कुछ लोग जुआ खेलते हैं। लेकिन घटना वाले दिन उसे वहां कोई नहीं मिला। जिसके चलते उसने वहीं बैठकर सिगरेट पी रहा था।तभी ये लड़की उसके पीछे-पीछे गई थी। मनोज के मुताबिक बच्ची ने उससे कहा कि वह पापा से बता देगी कि उसने सिगरेट पी है। अपने पिता से सिगरेट पीने की बात कहते ही वह लड़की को ईंट से डरा रहा था। डराने के दौरान ही उसे ईंट लग गई। इसके बाद रंजिशन मुकदमा कराया गया। बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने के बाद बच्ची के परिजनों को गुमराह किया था। लड़की उसको पड़ोस के नाते से मामा कहती। जब वह गायब हुई तो मनोज भी बच्ची के परिजनों के साथ उसकी तलाश में जुटा था। वह परिजनों के साथ तलाश के दौरान घटनास्थल से दूसरे स्थानों पर लेकर घूमता रहा था। जब स्वजन टाल के पीछे जाने लगे तो उसने वहां जाने से रोका था।