आगरा में रेलवे स्टेशन से पुराना है चामुंडा देवी मंदिर, 1953 में हुआ था त्रिपक्षीय समझौता

in #agra2 years ago

Screenshot_20220430_102611.jpgआगरा में रेलवे ने राजा की मंडी स्टेशन पर बने चामुंडा देवी मंदिर को हटाने के लिए नोटिस दिया तो यह चर्चा शुरू हो गई कि मंदिर पहले बना या रेलवे स्टेशन। मंदिर प्रबंधन और रेलवे के अपने अपने दावे हैं। रेलवे इसे अतिक्रमण मान रहा है। अमर उजाला के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जिनसे यह पता लगता है कि मंदिर राजा की मंडी रेलवे स्टेशन से पहले का है। 1953 में मंदिर प्रबंधन का सेंट्रल रेलवे, प्रशासन और आगरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के साथ त्रिपक्षीय समझौता हुआ था, जिसमें मंदिर से जमीन ली गई और रेलवे ने बदले में लोहामंडी की ओर 39.25×3 फीट जमीन दी। यह पहला मामला है, जिसमें रेलवे द्वारा राजा की मंडी स्टेशन के लिए बनाए गए नक्शे में ही समझौता वार्ता को शामिल किया गया और समझौते के गवाह सात व्यक्तियों और तीन अधिकारियों के हस्ताक्षर कराए गए। समझौते की शर्तों को हिंदी और अंग्रेजी में नक्शे पर ही एक किनारे अंकित किया गया है।Screenshot_20220430_102829.jpgरेलवे ने 1906 में किदवई पार्क के पास राजा की मंडी स्टेशन बनाया था। टूंडला-आगरा रेलवे लाइन के कारण संचालन संबंधी समस्याओं को देखते हुए इसे 1956 में बिल्लोचपुरा की ओर शिफ्ट किया गया। शिफ्टिंग से पहले जमीन के अधिग्रहण संबंधी कार्रवाई शुरू हो चुकी थी। नए स्टेशन के लिए 19 दिसंबर 1952 को पहला सर्वे हुआ, जिसमें लोहामंडी क्षेत्र की ओर मंदिर को दर्शाया गया।इस सर्वे रिपोर्ट में देवी मंदिर को माहेश्वरी मंदिर का नाम दिया गया। तब मंदिर को शिफ्ट करने की कवायदें हुईं, लेकिन तत्कालीन दौर में भी लोग इसके लिए तैयार नहीं हुए तो प्रशासन, रेलवे और मंदिर प्रबंधन के साथ आगरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने समझौता किया। 23 फरवरी 1953 को यह समझौता किया गया, जिसमें सेंट्रल रेलवे के इंजीनियर आरएन शर्मा, डीएम के प्रतिनिधि के रूप में तहसील से एसबी जौहरी और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट आगरा के इंजीनियर ने हस्ताक्षर किए।