तथ्यों को जाने बिना भ्रम फैलाना शिक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौती–प्रो गिरीश त्रिपाठी

in #agra6 days ago

Screenshot_20240913_123258.jpg

आगरा कॉलेज, आगरा

पं. गंगाधर शास्त्री व्याख्यानमाला के अंतर्गत एकदिवसीय व्याख्यान का आयोजन।

"शिक्षा हमारे मस्तिष्क के साथ-साथ हृदय का परिवर्तन तब कर पाएगी जब हम अपने आदर्श मूल्यों को स्वीकार करेंगे। भारत का मूल दर्शन वसुदेव कुटुंबकम है। " उक्त विचार हैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी के।

प्रो त्रिपाठी आगरा कॉलेज, आगरा में पंडित गंगाधर शास्त्री व्याख्यानमाला के अंतर्गत आयोजित एक व्याख्यान मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। व्याख्यान का विषय "भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता एवं चुनौतियां" था।

प्रो त्रिपाठी ने आगे कहा कि आज शिक्षा किसी की प्राथमिकता नहीं है। पढ़ने वाले, पढ़ाने वाले यहां तक की सरकार की प्राथमिकता में भी शिक्षा नहीं है। वही देश, वही संस्था और वही समाज आने वाले समय में आगे बढ़ सकेगा जिसकी प्राथमिकता पर शिक्षा होगी।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के सम्मुख अनेक चुनौतियां हैं। हमारे परिवार का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। शिक्षा हमारे मस्तिष्क के साथ-साथ हृदय का परिवर्तन तब कर पाएगी, जब हम अपने आदर्श मूल्यों को स्वीकार करेंगे।

उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे लोग आएं। कहीं नौकरी नहीं मिली तो इस क्षेत्र को चुन लिया, यह एक बड़ी चुनौती है। शिक्षा नैतिक मूल्यों के रूप में प्रतिष्ठित हो, इसकी चिंता और प्राविधान राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किया गया है।

आज के नौजवान उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद चपरासी की नौकरी ढूंढ रहे हैं। इसका कारण युवाओं में कौशल और सामर्थ्य का अभाव होना है, यह भी एक बहुत बड़ी चुनौती है।
तथ्यों को जाने बिना भ्रम फैलाना शिक्षा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षा को खंड-खंड में नहीं पढ़ना है, इसे समग्र रूप में पढ़ाया जाना चाहिए।

विद्या वाद-विवाद के लिए नहीं दी जाती। धन अहंकार के लिए नहीं और शक्ति उत्पीढ़न के लिए नहीं होती। शिक्षा ठीक होगी तब ही समाज ठीक चलेगा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए आरबीएस कॉलेज के प्रचार्य प्रो विजय श्रीवास्तव ने कहा कि आज प्रश्न है कि शिक्षा को और शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे बचाए रखें।

शिक्षकों की उत्तरदायित्व की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा को एक वृत्ति या नौकरी के रूप में न लेकर एक जुनून या मिशन के रूप में लेकर ही शिक्षा की गुणवत्ता को बचाया जा सकता है।

शिक्षक यह ठान लें कि शिक्षा हमारे लिए व्यवसाय या जीवन वृत्ति नहीं वरन् जीवन है, तो शिक्षा के वर्तमान स्वरूप में हम बदलाव ला सकते हैं।

व्याख्यानमाला की अध्यक्षता आगरा कॉलेज के प्रचार्य प्रो अनुराग शुक्ला ने की तथा संचालन हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रो सुनीता रानी ने किया।

व्याख्यानमाला में प्रो रचना सिंह, प्रो डी सी मिश्र, प्रो अमिता सरकार, डा आनंद पांडे, प्रो राजीव द्विवेदी, प्रो सुनील यादव, प्रो मीना कुमारी, प्रो बीके शर्मा, प्रो अमित अग्रवाल, प्रो निशा राठौर, प्रो रीता निगम, प्रो शादां जाफरी, प्रो केपी तिवारी, प्रो अंशु चौहान, प्रो आशीष कुमार, डा अनुराधा नेगी, डा संध्या मान, डा अल्पना ओझा, डा चंद्रवीर सिंह, डॉ उमेश शुक्ला, डा श्याम गोविंद, डा शिवकुमार सिंह, डा केशव सिंह, डा हेमराज चेतन गौतम आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
इससे पूर्व अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर व्याख्यानमाला का विधिवत शुभारंभ किया।