यहां मुस्लिम भी करते हैं हनुमान जी की पूजा

in #agra2 years ago

इन दिनों देश में अजान VS हनुमान चालीसा का विवाद गहराया हुआ है. जब से लाउडस्पीकर विवाद शुरू हुआ है मजहबी माहौल खराब करने की साजिश रची जा रही है.

देश में कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई है .लेकिन इस बीच आगरा लोहामंडी का छिंगा मोदी पुल हैं जहां पर एक तरफ हनुमान जी का मंदिर है वहीं दूसरी तरफ बिल्कुल उसी से सटी मजार है. बीच में से रास्ता गुजरने भर की जगह है. सदियों से यहां लोग एक साथ इबादत और पूजा करने के लिए आते हैं. जब कोई त्यौहार होता है तो दोनों पूजा स्थलों को सजाया जाता है. आज तक यहां पर कोई भी धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने जैसी घटना नहीं हुई है.

मुगल काल का बना है छिंगा मोदी पुल ।

यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि छिंगा मोदीपुर अकबर के शासन काल का है .अकबर के शासन काल में आगरा के चार कोनों पर आगरा की सीमाओं को कवर करने के लिए चार दरवाजे हुआ करते थे. छिंगा मोदी पुल के बाहर आगरा की सीमा समाप्त होती थी और यहां से फ़तेपुर सीकरी जाने का रास्ता था. जो कि नाले से होता हुआ घने जंगलों में निकलता था.

एक तरफ हैं मजार की दूसरी तरफ है संकट मोचन हनुमान।

छिंगा मोदी पुल के चमत्कार के बारे में कई कहानियां फेमस हैं. यहां दाएं तरफ संकट मोचन हनुमान का मंदिर है ,वही बाएं तरफ मजार बनी हुई है. जब साल में हनुमान जयंती के कार्यक्रम होता है मंदिर के साथ-साथ मजार को भी सजाया जाता है .आसपास के लोग दोनों धार्मिक स्थलों पर सजदा करते हैं .जब मजार का उर्स होता है, तो हनुमान मंदिर को भी सजाया जाता है प्रसादी वितरण की जाती है .दोनों सद्भावना का प्रतीक बने हुए हैं. कभी भी सौहार्द खराब करने जैसी घटना घटित नहीं हुई है.

छिंगा बाबा के चमत्कार की कहानियां हैं फेमस।

स्थानीय पूर्व पार्षद हेमंत प्रजापति बताते हैं कि इस पुल का नाम छिंगा बाबा के नाम पर पड़ा है. सालों पहले बारिश हो रही थी, तब यहां से गुजरने वाले लोग पुल के नीचे खड़े हो गए. वहां से गुजर रहे एक साधु जिनका नाम छिंगा बाबा था. उन्होंने कहा इस पुल के नीचे से हट जाइए ,पुल गिरने वाला है. जैसे ही लोग उस पुल के नीचे से हटे फूल गिर गया. लेकिन तभी वहां आसपास खड़े लोगों ने आवाज लगाई वह बाबा पुल के नीचे दब गए. जब उनका मलबा हटाया गया तो वहां पर कुछ नहीं मिला और तब से इस पुल का नाम छिंगा मोदी फुल रख दिया गया. उनकी मजार ठीक मंदिर के बगल में है.

एक ही पुजारी करते हैं दोनों धार्मिक स्थलों की पूजा.

आसपास के लोग बताते हैं कि यहां पर मंदिर और मजार दोनों की पूजा होती है. यहां के जो मुख्य पुजारी हैं वो मंदिर की पूजा करते हैं वही मजार पर चिरागी लगाते हैं. इसके साथ-साथ अगर हनुमान जी का प्रसाद वितरण होता है दोनों जगह चढ़ाया जाता है. अब यह जगह इंडियन आर्ट कॉलेज कल सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन है.अब जिसकी देखरेख एएसआई करता है. लेकिन साफ तौर से कहा जा सकता है कि दोनों ही धार्मिक स्थल यहां के लोगों को आपस में जोड़े रखने का काम करते हैं.