ताजनगरी में ‘चोरी’ हो गई नहरों की 100 हेक्टेयर जमीन
ताजनगरी में 150 करोड़ रुपये की नहर ‘चोरी’ हो गई। सिकंदरा रजवाह, पार्क नहर, दयालबाग नहर, मघटई नहर की 100 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि पर पक्के निर्माण हैं। बिल्डिंग, मार्केट, मॉल व होटल खड़े हैं। रसूख और सिक्कों की खनक के आगे अफसर बौने हो गए। 75 साल में जिले में एक नई नहर नहीं बनी। जो विरासत में मिलीं उन्हें सिंचाई विभाग सहेज नहीं पाया।
ये हाल तब है जब नहरों की निगरानी के लिए सिंचाई विभाग में 70 से अधिक सींचपाल हैं। जूनियर इंजीनियर से लेकर सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर तक शहर में ही विराजमान हैं। विभाग की मिलीभगत से सरकारी जमीनों पर कब्जे का ‘खेल’ चल रहा है। अमर उजाला ने शहरी क्षेत्र में नहरों पर हुए कब्जों की पड़ताल की, तो धरातल पर चौकाने तथ्य सामने आए हैं।
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