मध्यप्रदेश के आगर मालवा के ग्रामीण क्षेत्र मे जलसंकट
आगर मालवा - गर्मी की तपिश के साथ साथ मध्यप्रदश के आगर मालवा जिले के कई ग्रामों जलसंकट की आहट भी होने लगी है। जलसंकट के चलते ग्राम पायरी में हालात ऐसे बने है कि पेयजल के लिए ग्रामीणों को उबड़ खाबड़ पगडंडियों पर दो से तीन किलोमीटर दूर तक का रोज सफर तय करना पड़ता है। वर्षो से जलसंकट की मार झेल रहे इस ग्राम की अब तक किसी ने भी सुध नहीं ली है।
आगर मालवा जिले कि ग्राम पंचायत पालड़ा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पायरी के बाशिंदे वर्षो से जलसंकट की मार से जूझ रहे है। घुम्मक्कड़ जाती के सैकड़ों की जनसंख्या वाले इस ग्राम में वैसे तो वर्ष भर ही पानी की किल्लत रहती है लेकिन गर्मी में हालात और बिगड़ जाते है। गर्मियों में हालात इतने खराब होते की सुबह से ही बच्चो से लेकर बुजुर्गों तक पानी की जुगाड़ में जुट जाते है। ग्राम की महिलाएं और बच्चे तेज गर्मी कड़ी धूप के बावजूद सर पर पानी के बर्तन रखकर पगडंडियों पर चलते देखे जा सकते है। पीने के पानी के लिए बच्चो की मजबुरी ऐसी की स्कूल जाना छोड़कर, सर पर पानी के बर्तन लेकर 2 से 3 किलोमीटर दूर कुएं तक अपने परिजनों के साथ भटकना पड़ रहा है।
जलसंकट की इस मार से बुजुर्ग भी अछूते नहीं है, ग्राम की राजू बाई और आशी बाई बताती है कि उनका लगभग पूरा जीवन ही पानी की परेशानी में बीत गया है। उम्र के ऐसे पड़ाव जहाँ घर पर आराम करने की जरूरत है तब भी पीने के पानी के लिए कई कई किलोमीटर चलना पड़ रहा ह
जल संकट की मार झेल रही इन महिलाओं की बड़ी परेशानी यह है कि सुबह जल्दी उठकर पानी के लिए दो तीन किलोमीटर चलकर कुवें तक जाना और पानी भरकर उसे सर पर लादकर वापस इतना ही चलकर घर वापस आना। फिर पूरे घर के लिए भोजन पकाना फिर मजदूरी करने जाना। ताकि घर की बाकी जरूरतों को पूरा किया जा सके। कई बार पहाड़ी क्षेत्र की उबड़ खाबड़ पथरीली पगडंडियों पर चलने के दौरान महिलाएं गिरने से घायल भी हो जाती है लेकिन दो बूंद की जद्दोजहद में सारा दर्द भूलकर परिवार के लिए सारा जुटी रहती है। कुवे से पानी भरने के दौरान कई बार हादसे भी हो चुके है
घर घर पेयजल के दावों की पोल खोलती यह तस्वीरें सारी हकीकत बयां कर रही है। जलसंकट झेल रहे ग्रामवासियों की नाराजगी जनप्रतिनिधियों और प्रशाषन के प्रति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन ग्रामवासियों के अनुसार केवल वोट लेते समय जनप्रतिनिधि गाँव आते है और सारे वादे करके जाते है लेकिन चुनाव के बाद न अधिकारी आते है और न ही नेता। जलसंकट से हालात ऐसे बन रहे है कि कोई अपनी लड़की इस ग्राम में ब्याहना नहीं चाहता। पानी भरने के लिए जो लोग सक्षम है वे बाइक पर पानी की केन भरकर ले जाते है लेकिन पेट्रोल के बढ़ते भावों से रोज रोज पानी लाने, ले जाने में ग्रामीणों के घर का बजट बिगड़ रहा है। ग्रामीणों के अनुसार अभी तो 2-3 किलोमीटर पर पानी उपलब्ध है परंतु जैसे जैसे गर्मी बढ़ेगी यह जलस्त्रोत साथ छोड़ देगा, ऐसे में 4 से 5 किलोमीटर दूर तक पानी के लिए भटकना पड़ेगा।
हर वर्ष इस तरह कि परेशानीयां सामने आने के बावजुद जिम्मेदार ग्रामीणों की परेशानियों से अनभिज्ञ है। जवाबदारो के गैरजिम्मेदारानां रूख से अब तक इस तरफ कोई योजना बन पाई हैा यह हालात सरकार और प्रशासन के दावो की पोल खोलते है। इन हालातो में यह तो तय है कि इस वर्ष तो ग्रामिणो को इसी तरह जलसंकट में गुजारना पडेगा और पानी के लिए ऐसे ही जुझना पडेगा इस तरह की तस्वीरें लोगों को चेताती है कि अगर वक्त रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में बड़ा संकट खड़ा हो सकता हैा