दो अभियुक्तों को दस-दस साल की सजा

बहराइच 14 सितंबर : (डेस्क) दलजीत पुरवा गांव के ओंकार सिंह और त्रिभुवन सिंह को एएसजे तृतीय की कोर्ट ने सुनाई सजा।दोनों अभियुक्तों को मवेशी चराने को लेकर विवाद में मिली सजा।मारपीट में नगेसर सिंह की मौत के बाद दर्ज हुआ था मुकदमा।

1000050697.jpg

बहराइच में दलजीत पुरवा गांव निवासी अभियुक्त ओंकार सिंह और त्रिभुवन सिंह को एएसजे तृतीय की कोर्ट ने शुक्रवार को दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, प्रत्येक पर 11,600 रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। यह मामला 2010 में शुरू हुआ था, जब दोनों अभियुक्तों का नगेसर सिंह के साथ मवेशी चराने को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद के चलते हुई मारपीट में नगेसर सिंह की मौत हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने 1 फरवरी 2010 को मुकदमा दर्ज किया था।

शुक्रवार को एएसजे तृतीय की कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने घटना की गंभीरता को उजागर करते हुए अभियुक्तों को अधिकतम सजा देने की दलील पेश की। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक विवाद नहीं था, बल्कि इसके परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की जान गई, जो कि समाज के लिए अत्यंत गंभीर है।

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना निर्णय सुनाया। ओंकार सिंह और त्रिभुवन सिंह को सजा सुनाते समय न्यायाधीश ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में कानून-व्यवस्था को बिगाड़ती हैं और इन्हें रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस फैसले के बाद, गांव में इस मामले को लेकर चर्चा का माहौल बना हुआ है। कई ग्रामीणों ने इस सजा को उचित ठहराया है, जबकि कुछ ने इसे अत्यधिक बताया है। ग्रामीणों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं आमतौर पर ग्रामीण इलाकों में होती हैं और इसके लिए सभी पक्षों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

अभियुक्तों के परिवारों ने कोर्ट के फैसले का विरोध किया है और कहा है कि यह एक अन्याय है। उनका कहना है कि उन्हें इस मामले में सही तरीके से न्याय नहीं मिला है और वे उच्च न्यायालय में अपील करने की योजना बना रहे हैं।

इस प्रकार, बहराइच में ओंकार सिंह और त्रिभुवन सिंह को मिली सजा ने स्थानीय समुदाय में एक बार फिर से कानून और व्यवस्था के मुद्दे को उठाया है। अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में उच्च न्यायालय में अपील होती है और क्या अभियुक्तों को न्याय मिल पाता है।