19 की उम्र में अंग्रेजों का झंडा उतार तिरंगा फहराया:कोड़े बरसाए,जेल में डाला. फिर भी हौसला नहीटूटा

in #aajadi2 years ago

भरतपुर साल 1939...जब भारत को आजाद करवाने के लिए हर कोई अंग्रेजों से जंग लड़ रहा था। इनमें शामिल था भरतपुर जिले का 13 साल का बच्चा पन्नालाल गुप्ता। पन्नालाल आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी बाबू राज बहादुर, प्रभु दयाल माथुर, ब्रजेन्द्र सिंह चंदेला, रामचंद्र माथुर, काशी नाथ गुप्ता के साथ थे।

पांचवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी।

स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण 19 साल की उम्र में जेल जाना पड़ा। बेड़ियों में कैद कर रखा गया, कोड़े बरसाए गए, लेकिन ये सजा भी पन्नालाल का हौसला नहीं डिगा पाई। जेल से बाहर आए तो दोबारा अंग्रेजों के खिलाफ संग्राम की रणनीति बनाने में जुट गए।
स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल गुप्ता के बेटे अनिल व सुनील ने बताया कि पिताजी का एक ही सपना था- किसी भी तरह देश को आजाद कराए जाए। 1942 में 16 साल की उम्र में प्रजा परिषद के सदस्य बने।
1945 में रणनीति के मुताबिक पन्नालाल को तिरंगा फहराने का टास्क दिया। उस समय आदेश थे कि कोई ब्रिटिश झंडे का अपमान करेगा तो उसे गोली से उड़ा दिया जाएगा। 19 साल के पन्नालाल ने 13 जून 1945 को राजकीय सचिवालय पर लगा यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहरा दिया। उसी समय दीवान के कार्यालय में राजकाज में बाधा पहुंचाने के आरोप में उन्हें और उनके साथियों को जेल में डाल दिया गया।

खराब खाने का विरोध किया तो कोड़े बरसाए
जेल में उन्होंने खराब खाना देने का विरोध किया तो अंग्रेज सैनिकों ने कोड़े मारे। बेड़ियों में बांधकर अलग सेल में डाल दिया गया। जेल में चक्की पिसाई गई। करीब 6 महीने बाद उन्हें जेल से छोड़ा गया।

अंग्रेजों का ऐसा आतंक, भाग गई घर की महिलाएं
उस समय जिले में अंग्रेजों का आतंक था। पन्नालाल गुप्ता और उनके साथियों ने यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहराया तो संगठन से जुड़े लोगों के नाम गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए। काफी ढूंढने के बाद भी जब कोई नहीं मिला तो घरों के कुर्क करने के आदेश निकाले गए।
अंग्रेज सैनिकों ने बासन गेट इलाके में दबिश दी थी। इस दौरान अंग्रेजों के डर से घर की महिलाएं घर छोड़कर भाग गईं। घर में सिर्फ खाना बनाने के बर्तन पड़े हुए थे, वो भी अंग्रेज सैनिक अपने साथ उठा ले गए।

भरतपुर में आज भी है पन्नालाल गुप्ता की दुकान

पन्ना लाल पुत्र गोविंद राम गुप्ता का जन्म भरतपुर के तेहरा लोधा गांव में 25 फ़रवरी 1926 को हुआ। देश के आजाद होने के बाद रोजगार के लिए वह शहर के गंगा मंदिर स्थित अपने बड़े भाई नानिग राम गुप्ता की दुकान पर बैठने लगे। कुछ दिनों बाद उन्होंने 1955 में खुद का दूध का व्यापार शुरू किया। उसी साल उनकी शादी हो गई।
शादी के बाद उनके 8 बच्चे हुए, जिसमें से 1 बच्चे की मौत हो गई। आज भी शहर में पन्नालाल गुप्ता की यह दुकान है। जिसे उनके दो बेटे अनिल और सुनील संभालते हैं। कई ऐसी किताबें हैं, जिसमें स्वतंत्रता की बात आती है तो उसमें उनका जिक्र किया गया है।
2 सितंबर 1985 को उनका हार्ट अटैक से उनका देहांत हो गया था। उनके देहांत के बाद राज्य सरकार ने बासन गेट से लेकर रेलवे स्टेशन तक की सड़क का नामकरण स्वतंत्रता सेनानी पन्ना लाल गुप्ता मार्ग किया।13-4_1660044501 (1).jpg

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