मनुष्य जब गुरु दीक्षा प्राप्त कर लेता है तो उसे गुरु से अलौकिक ज्ञान प्राप्त होता रहता है :महंत

संतकबीरनगर। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार देर शाम श्रद्धालुओं ने चौका आरती और दीक्षा लेने के साथ ही गुरु पूजा की। इस मौके पर उपस्थित संतों के निर्गुण भजन से पूरा माहौल कबीरमय हो गया। महंत विचार दास ने कहा कि बिना गुरु दीक्षा के मानव शरीर अधूरा माना गया है।
मनुष्य जब गुरु दीक्षा प्राप्त कर लेता है तो उसे गुरु से अलौकिक ज्ञान प्राप्त होताkabra-cara-parasara-ma-caka-aarata-va-gara-paja-karata-sharathathhalsavatha_1657822585.jpeg रहता है। इसके बाद व्यक्ति के जीवन में बदलाव आने लगता है। सद्गुरु कबीर ने कहा है कि निराकार ब्रह्म को ही गुरु मान उनके दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए जीवन के झंझावात से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सही मार्ग पर ले जाने वाला एक मात्र गुरु को ही माना गया है। ऐसे में गुरु का स्थान स्वयं बड़ा हो जाता है। गुरु हमेशा अपने भक्तों को सत्य, प्रेम, सौहार्द के रास्ते पर चलने की सीख देता है।

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