जिम्मेदारों की लापरवाही से शाला के शौचालय बेकार

in #school2 years ago

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  • छात्र , छात्राएं परेशान, जिला प्रशासन का ध्यान नहीं

मंडला. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षित बनाने और उन्हें पूरी सहूलियत देने के लिए सरकार पानी की तरफ खर्च कर रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर देखे तो जिले के ऐसे कई विद्यालय होंगे जहां शौचालय बने है तो उपयोग के काबिल नहीं है, और कहीं शौचालय ही नहीं है। ऐसे में स्कूली बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्रों को शौच के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर इसका जीता जागता नाजारा नैनपुर क्षेत्र की एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला इटका वार्ड नंबर 07 की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है।

जानकारी अनुसार जिले के बहुत से शालाओं के शौचालय किसी काम के नहीं है। बहुत सी शालाओं में बने शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए और बने हुए शौचालय नाम मात्र का ढांचा जैसा खड़ा है। ऐसे में विद्यालय में पढऩे वाले छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बता दे कि एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला इटका वार्ड नंबर 7 में स्थित विद्यालय देख रेख के अभाव में शाला भवन के हाल बेहाल है। शाला भवन को देखने से लगता है कि इस भवन का कई वर्षो से रंग रोगन नहीं कराया गया।

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बताया गया कि शाला भवन के साथ शाला का फर्श भी क्षतिग्रस्त हो रहा है। शाला में अध्ययनरत छात्र छात्राओं के लिए प्रसाधन की व्यवस्था नहीं है और शाला में जो शौचालय बने हुए हैं, वह भी पूर्ण रूप से टूटे हुए बेकार हैं। जिनका उपयोग नहीं किया जा सकता है। इनकी हालत खंडर जैसी हो गई है।

बता दे कि कुछ दिन पूर्व जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह का नैनपुर दौरा था। इनका काफिला दौरे के दौरान एकीकृत शासकीय माध्यमिक शाला इटका वार्ड नंबर 07 के सामने से गुजरा। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह काफिले इस माध्यमिक शाला में रूक गया होता तो इन बच्चों की किस्मत खुल जाती और इन बच्चों को भी अच्छी सुविधाएं अपने शाला में शायद मिलने लगती।

क्षेत्रवासियों ने बताया कि इस शाला में पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई की सुविधा है। नगर के अंतिम छोर में पडने वाली यह शाला खण्ड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के कारण नगर के वार्ड क्रंमाक 07 की शाला आज भी दुर्दशा का शिकार है । सरकार शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है बावजूद इसके सरकारी स्कूलों की ऐसी हालत है, कि कई ग्रामीण अंचलो के स्कूल में भवन, बिजली, पानी, शौचालय की पूर्ण व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण यहां पढऩे वाले बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

बता दे कि नैनपुर ब्लाक के जिम्मेदार खण्ड शिक्षा अधिकारी सप्ताह में एक दो दिन ही अपने निवास पिण्डरई से कार्यालय नैनपुर में आते हैं। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा नगर के समूचे शिक्षण संस्थानों की व्यवस्था कैसे बनाई जा सकती है, यह विचारणीय विषय है। अधिकारियों, कर्मचारियों के अपडाउन प्राणील से हर क्षेत्र में विकास का रोढ़ा है। जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। जिला प्रशासन इस प्रणाली में सुधार लाना चाहिए।

  • इनका कहना है
    शौचालय जिला मुख्यालय से स्वीकृत होते हैं, इसके रखरखाव की जिम्मेदारी शाला प्रबंधन की होती। फिर भी मैंने जांच के लिए अधिकारियों को भेजा है।
    मुरलीधर सोलंकी, खंड शिक्षा अधिकारी नैनपुर