टीएफआई में आरडी मंगेशकर और यूपी में राजकुमार कश्यप खिलाड़ियों के भरोसे पर खरे उतर पाएंगे

in #taekwondo2 years ago (edited)
  • ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया की नई कार्यकारिणी का हो चुका है गठन बावजूद खिलाड़ियों के लिए नहीं आई अभी हर्ष की ख़बर

  • भारतीय ताइक्वांडो महासंघ और उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो संघ की अग्निपरीक्षा अब शुरू हुई

  • 5 साल तक आरडी मंगेशकर और राजकुमार कश्यप को दिन रात हर संभव सहयोग देने वालों को मिलेगा सम्मान या दूध में से मक्खी की तरह निकाल फेंका जाएगा

प्रदीप कुमार रावत की कलम से बेबाक टिप्पणी
लोग कहते हैं मैं व्यक्ति विशेष को महत्व देता हूँ और प्रोत्साहित करता हूँ।। शायद सच के लिए लड़ना अब किसी जंग से कम नहीं..!आप लोग जानते हैं कि जब से TFI में विवाद हुआ और उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को ठगा गया तब से ही उनके लिए मैं एक दीवार की तरह निडरता के साथ खड़ा रहा। मैं जानता हूँ कि यह सब कह कर अपनी ऊर्जा व्यर्थ कर रहा हूँ। मैं इससे इत्तफाक नहीं रखता,जब किसी के साथ खड़े हुए हैं तो अंतिम समय तब खड़े रहेंगे चाहे निर्णय कुछ भी निकले..!! 14 नवंबर 2022 को भारतीय ओलंपिक भवन में संघर्ष का आख़िर सुखद अंत हो गया। इसमें निर्णय तो दिल्ली हाईकोर्ट दे चुका है और भारतीय ओलंपिक भवन में राज्य संघों ने 2015 में जो त्रुटि की थी उसको सुधार कर आरडी मंगेशकर पर अपना भरोसा जताया है। अब ताइक्वांडो महासंघ के महासचिव आरडी मंगेशकर ही ताइक्वांडो के खेवनहार हैं।
जिनके हितों के लिए संघर्ष किया वह मुझे सम्मान दें या न दें इससे भी मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता इतना अवश्य है कि जो मुझे करना है कर रहा हूँ और करता रहूंगा। यह कुछ पाने के लिए नहीं किया गया। पाना होता तो तीन साल पहले ही पा चुका होता।। यह मैं किसी व्यक्ति विशेष को नीचा दिखाने के लिए कदापि नहीं कर रहा।। बस आभास दिला रहा हूँ.... पहले भी कहा था और आज एक बार फिर कह रहा हूँ।। जीत हो या हार मैं पहले दिन से खिलाड़ियों और संघर्षरत पदाधिकारियों के साथ था, खड़ा हूँ और उनके साथ खड़ा रहुंगा चाहे मेरे सामने कोई भी क्यों न हो।।
भारतीय ताइक्वांडो महासंघ के पदाधिकारियों को चाहिए कि अपने संघर्ष के साथियों के सम्मान का भी ख्याल रखें।। क्योंकि दंभ ज़्यादा दिन तक टिकता नहीं, साहब यह आप लोगों से बेहतर कौन जान सकता है..!! पूरी ऊर्जा के साथ एथलीट्स के हितों के लिए लड़ें लेकिन पूर्व दिग्गजों की भांति लूटें नहीं..!!पिछले तीन दशकों से खिलाड़ी बहुत लुट चुके,यह मेरी सलाह नहीं बल्कि चेतावनी है कि कहीं आप अपने उद्देश्यों से भटक न जाएं..??? हमारा उद्देश्य यही था कि खिलाड़ियों के हितों के लिए अंतिम समय तक आप का साथ दें, अब मेरी विदाई का समय आ गया है।। बस अनुरोध एवं करबद्ध प्रार्थना है कि राज्य स्तर(अपने राज्य) एवं राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी अनुशासित कार्यकारिणी बनाएं जिसमें ताइक्वांडो खेल के बाहरी लोग भी हों जिससे वह निश्वार्थ एवं न्याय पूरक, निःसंकोच और बेझिझक होकर अनुशासनहीनता करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकें।। हम निश्वार्थ थे, हैं और रहेंगे...!! मंगेशकर जी को जो यह जीत नहीं मिली है, बल्कि यह एक ऐसा भार है या एक ऐसी नाव पर सवार हैं, जिसमें भांति भांति के राक्षस एवं आमजन नाव में बैठकर तो समुंदर रूपी ताइक्वांडो को पार करना चाहते हैं।।

टीएफआई के महासचिव आरडी मंगेशकर के लिए यह एक ऐसा कांटो भरा ताज है जिसमें से इन्हें अपने विवेक से इन कांटों को चुन चुन कर निकालना होगा,आप की हर छोटी बड़ी ग़लती को बढ़ा-चढ़ा कर के दिखाया जाएगा इसलिए संभल कर चलिएगा। आपने एक लंबे संघर्ष के बाद यह जीत हासिल की है, इसमें आप के अपनों ने भी बीच मझधार में छोड़ा, वह भी ध्यान रखिएगा।। साथ ही जिन्होंने पहले दिन से अंतिम समय तक साथ दिया उन सभी को साथ लेकर चलने की जिम्मेदारी भी आप ही की है।। अभी पूर्ण जीत हुई नहीं है, इसलिए यह लिख रहा हूँ।।

यह पूर्ण विजय नहीं... यह इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि अभी डगर पनघट की बहुत मुश्किल है... ताइक्वांडो महासंघ के आरडी मंगेशकर और उनके अध्यक्ष को चाणक्य की तरह एथलीट्स के हक पर डाका डालने वाले मठाधीशो को जवाब देना होगा। वर्तमान कार्यकारिणी की एक छोटी सी गलती भी खिलाड़ियों के लिए नासूर बन सकती है। खिलाड़ियों ने इन दिनों एक लंबा भयावह कालखंड देखा है।

टीएफआई महासचिव आरडी मंगेशकर और उत्तर प्रदेश ताइक्वांडो संघ के महासचिव राजकुमार कश्यप अब विजय पताका फहराने के बाद संघर्ष के साथियों को पहचान भी न सकें... तो उनकी सीख तो बहुत दूर..!इसलिए सोचा थोड़ा लिख लू,सो निडरता के साथ लिख दिया।। आप ने जिस चक्रव्यूह को तोड़ा है उससे यह साबित हो गया है कि आज भी अभिमन्यु जिंदा हैं, लेकिन यह अभिमन्यु वह नहीं जिसे चक्रव्यूह तोड़कर भेदकर सिर्फ अंदर गुसना आता है।। यह वह अभिमन्यु हैं जिन्हें चक्रव्यूह से बाहर निकलना भी बख़ूबी आता है।। आप से यही कहुंगा कि देश में खिलाड़ियों को जो लूटने की परंपरा पड़ी है उस पर विराम लगे, खिलाड़ियों को कमाई का जरिया न समझा जाए बल्कि उनको आगे बढ़ाने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर मंथन होना चाहिए।। कभी कलर बैल्ट के नाम पर तो ओपन चैंपियनशिप के एथलीट्स को लूटा जाता रहा है।। ब्लैक बैल्ट को जबरन थोपा जा रहा है..? यह समस्याएं सुरसा के मुँह की तरह ...??? आप अधिवक्ता भी हैं, कानून की पेचीदगियां को बेहतर समझते हैं इसलिए लोगों की समस्याओं को बख़ूबी जानते होंगे।। मीडिया आईना होता है, कोई समझता है तो कोई इसे नज़रअंदाज़ करता है।। जो पुरानी गलतियों से सबक ले वही आगे बढ़ते हैं।। एक अंतिम बात और कहुंगा कि कभी भी किसी का तिरस्कार न करिएगा..!!