।। सोशल आडिट ,मनरेगा मजदूरो को रोजगार मिलना हुआ दुश्वार

सन्त कबीर नगर ( सेमरियावा )- सरकार और जन प्रतिनिधियो द्वारा बेशक विकास की नदिया बहाई जाती हो , भले ही अधिकारियो की जिम्मेदारी में विकास की प्राथमिकता चरम पर रहती हो । परन्तु मनरेगा योजना के तहत बतौर रोजगार मजदूरी मे 213 रूपये की दिहाड़ी पाने वाले मनरेगा मजदूरों को रोजगार मिलना दुश्वार हो गया है । सोशल आडिट बैठक के मुताबिक ग्राम पंचायत विगरा अव्वल और ग्राम पंचायत भाटपारा मे मनरेगा के तहत नाम मात्र का कार्य हुआ है ।
उल्लेखनीय है कि विकास खण्ड सेमरियावां के 2100 की आबादी वाले ग्राम पंचायत विगरा अव्वल में कुल 596 पंजीकृत मनरेगा मजदूर के सक्रिय 33 श्रमिको को वित्तीय वर्ष 2021-2022 मे रोजगार के लाले पड़ गये । 38.962 की मामूली व्यय राशि मे दो हौज नाले का काम हो सका है । वही 3000 की आबादी वाले ग्राम पंचायत भाटपारा मे कुल 321 पंजीकृत मनरेगा मजदूरो के सापेक्ष सक्रिय 121 मजदूरो मे महज 328 मानव दिवस का सृजन हो सका है । जिसमे सहाबुद्दीन के खेत से जावेद के खेत तक चकरोड पटाई कार्य मे 176 मानव दिवस तथा सामुदायिक शौचालय निर्माण कार्य मे 152 मानव दिवस का सृजन हुआ है ।
मनरेगा मजदूरो की यह स्थिति तब है जब शहरो का पलायन रोकने के क्रम मे ग्राम पंचायत स्तर पर बतौर 100 दिन का रोजगार मनरेगा योजना के तहत मुहैया कराना सुनिश्चित किया गया है ।
बहरहाल इस उदासीनता के पीछे क्या वजह रही होगी इसे भलीभांति जिम्मेदार तबका ही जानता होगा । लेकिन जिम्मेदारी के आईने मे जिम्मेदारों द्वारा दायित्व की कौन सी सूरत देखी गई कि बहु लाभकारी प्रकृति रक्षक वृक्षारोपण तक का कार्य नही हो सका । ऐसे मे भला तकनीकि सहायक और ग्राम पंचायत सचिव तथा ग्राम प्रधान किस मुंह से सोशल आडिट की बैठक में उपस्थित होकर अपने एक और दायित्व का निर्वहन करते । अलबत्ता इस सम्बंध मे ग्राम पंचायत भाटपारा प्रधान प्रतिनिधि ने कहा कि कम मजदूरी होने से मनरेगा मजदूरो द्वारा काम का कोई डिमांड ही नही किया जा रहा है ।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान राम सुमेर , रोजगार सेवक रिजवाना खातून , पंचायत सहायक अम्बिका प्रसाद , टीम कोआर्डिनेटर अखिलेश शर्मा , टीम सदस्य राम मिलन , मनोज कुमार , विपिन कुमार , शकुन्तला सहित दर्जनो ग्रामीण उपस्थित रहे ।
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