कथाव्यास नीलेष कृश्ण षास्त्री करेंगे श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

in #seoni2 years ago

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सिवनी दिनांक 01 दिसंबर से 08 दिसबंर तक षिवषक्ति मंदिर परिसर राजपूत कालोनी टैगोर वार्ड ओम गैस एजेंसी के पास सिवनी में दोपहर 1 बजे से षाम 5 बजे तक श्रीमंदभागवत कथा रूपी गंगा वृन्दावन से पधारे कथाव्यास नीलेष कृश्ण षास्त्री जी के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही है इस अवसर पर षनिवार के दिन कथाव्यास ने श्रीमदभागवत कथा के तीसरे दिन अजामिल उपाख्यान के माध्यम से इस बात को विस्तार से समझाया गया साथ ही प्रह्लाद चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। इसके अलावा ध्रुव चारित्र प्रसंग पर प्रकाष डाला। ब्रम्हा जी की आयु एक कल्प ब्रम्हा जी का एक दिन होता है और एक कल्प की ब्रम्हाजी की रात होती है इस तरह ब्रम्हा जी की आयु 100 वर्श है। ब्रम्हा जी के हर दिन अवतार होता है। जहां स्त्री का सम्मान नही होता वहा भगवान का वास नही होता स्त्री जब भोजन कराती है तो माता का रूप होती है जब सलाह देती है तो सलाहकार होती है विपत्ति पडने पर मित्र होती है अर्थात एक स्त्री के रूप अनेक है विदेषो में महिला को मनोरंजन की चीज समझी जाती है स्त्रियो का सम्मान सिर्फ भारत में ही देखने को मिलता है इसलिए हर स्थिती में महिला का सम्मान होना चाहिए। भारत देष ही एक ऐसा देष है जहां पर कन्याओ को देवी माना जाता है और उनकी पूजन की जाती है। ब्रम्हा जी के अंगो से सनक सनन्दन सतनकुमारो की उत्पत्ति हुई है ब्रम्हा जी के दाहिने हाथ से पुरूश मनु और बाये हाथ से सतरूपा की उत्पत्ति की। जिससे समस्त विष्व के मनुश्यो की उत्पत्ति हुई। मनुश्य को दुख देने के लिए कभी मनुश्य कभी संतान के रूप में तो कभी पत्नि के रूप में मो तो कभी भाई के रूप में तो कभी पति के रूप में तो कभी मित्र के रूप में आता है। जिसकी बाल्यावस्था बिगड जाती है उसकी जवानी बिगड जाती है जिसकी जवानी बिगड जाती है उसका बुढापा बिगड जाता है जिसका बुढापा बिगड जाता है उसकी मृत्यु बिगड जाती है इसलिए बच्चो को पाच वर्श की आयु तक ईष्वर स्वरूप समझना चाहिए जिसके बाद 6 वर्श से 15 वर्श तक उनके उपर विषेश ध्यान देने की आवष्यता है। ऐसा कभी नही समझना चाहिए की बच्चा है उसकी गलती पर परदा नही डालना चाहिए। जिसके पढाई के समय पढाई नही उनका जीवन बर्बाद हो जाता है पढाई लिखाइ्र का उददेष्य नौकरी पाना नही बल्कि व्यवस्थित जीवन जीना। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक सेवानिवृत प्रोफेसर डीपी नामदेव श्रीमति आषा नामदेव,डाक्टर नरेन्द्र नामदेव श्रीमति प्रणति नामदेव सहित सैकडो की संख्या में धर्मप्रेमी माताओ बहनो ने अपने सिर पर कलष रख षोभा यात्रा निकाली जो बाजो गाजो के साथ कथा स्थल पर पहुॅची इस अवसर पर प्रोफेसर श्री नामदेव ने सभी धर्मप्रेमी बन्धुओ से कथा श्रवणकर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।

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अति सुंदर

इस तरह के आयोजनों से समाज को नई दिशा मिलती है। एक दूसरे का सहयोग करने की भावना विकसित होती है।