वैश्विक अर्थव्यवस्था नाजुक, लेकिन भारत बेहतर स्थिति में
गजेन्द्र विश्वकर्मा, इंदौर। मैं जब एयरपोर्ट से कार में होटल आया तो कहीं भी कचरा नहीं दिखाई दिया। मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि इंदौर इतना स्वच्छ हो गया है। यह बात बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप भारत के अध्यक्ष जनमेजया सिन्हा ने कही। वे बुधवार को इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइएमए) के कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे।
उन्होंने नईदुनिया से विशेष बातचीत में कहा कि वैश्विक आर्थिक स्थिति अभी नाजुक है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की गाड़ी के तीन घोड़े हैं यूरोप, चीन और यूएस। यूरोप में मंदी चल रही है। चीन जिस पांच प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद कर रहा था, वह ढाई प्रतिशत ही हो पाएगी। यूएस में महंगाई काफी उच्च स्तर पर है। बेरोजगारी भी है। ऐसे में सोचने में आ रहा है कि कहीं यह गंभीर मंदी का इशारा तो नहीं। ब्राजील और तुर्की की हालत भी खराब है। रूस और दक्षिण अफ्रीका की हालत नाजुक है। सामान्य इमर्जिंग मार्केट की स्थिति अभी टाइट है।
हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। अगर रूस का विवाद न होता तो हमें और गति मिलती। विश्व की अर्थव्यवस्था कमजोर होने का असर कच्चे तेल पर पड़ा है। भारत ने कुछ समय में निर्यात की स्थिति को बेहतर किया है, लेकिन वैश्विक नाजुक स्थिति के कारण कई रुकावटें भी है। यूएस और चीन के बीच के तनाव के कारण कई देश नए बाजार तलाश कर रहे हैं। भारत को इसके लिए बड़ी उम्मीद से देखा जा रहा है। अब यह भारत को देखना है कि इसका लाभ कैसे ले पाए।
उन्होंने कहा कि देश की टाप 500 कंपनियों में से 300 फैमिली बिजनेस से संबंधित हैं। इनमें 60 प्रतिशत कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग का कार्य कर रही हैं। भारत में परिवार के सदस्य अगर अपने व्यवसाय को बिना टकराव के संचालित करें तो वे नई ऊंचाइयां पा सकते हैं। स्टार्टअप के लिए अभी संघर्ष का समय है। पिछले दो साल में कई स्टार्टअप को अच्छी फंडिंग मिली है, लेकिन अगले एक साल फंडिंग की परेशानी देखने को मिल सकती है।बेहतर गुणवत्ता वाले स्टार्टअप को ही इसका लाभ मिलेगा। फंडिंग मिलेगी भी तो स्टार्टअप का मूल्यांकन कम हो सकता है। इंदौर में शुरू हुई नाइट इकोनामी के सवाल पर सिन्हा ने कहा कि दुनिया के 30 देशों में इस तरह के प्रयोग चल रहे हैं। इंदौर में लागू किया गया है तो इससे व्यवसाय बढ़ेगा। हालांकि इसमें सुरक्षा का खास ध्यान रखना होगा।