Ice Therapy Benefits: आपके हर दर्द से राहत दिलाएगी आइस थेरेपी, जानिए इसके लाभ और करने का तरीका

in #therapy2 years ago

हममें से अधिकतर लोग सिर दर्द, जोड़ों के दर्द, चोट लगने पर होने वाली सूजन, तनाव, थकान या बुखार जैसी किसी न किसी समस्या से अकसर ग्रस्त होते रहते हैं। ऐसे में हर बार पेनकिलर्स खाना नुकसानदेह हो सकता है। इसके बजाय आसान और बिना किसी साइडइफेक्ट वाली आइस थेरेपी का यूज किया जाए तो आपको तुरंत राहत मिलेगी। नेचुरोथेरेपिस्ट-योगाचार्य, दिल्ली के नेचुरोथेरेपिस्ट-योगाचार्य डॉ. सत्य नारायण यादव से जानिए इसे अप्लाई करने का तरीका और इसके प्रभावों...

प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति यानी नेचुरोपैथी में चोट लगने समेत और कई तरह के दर्द, सूजन और बुखार आदि का इलाज आइस-थेरेपी से किया जाता है। आइस यानी बर्फ। अपनी खूबी के चलते आइस-थेरेपी, शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले दर्द में ही नहीं, कई बीमारियों में भी आराम पहुंचाती है। इस थेरेपी में आइस-क्यूब्स या बर्फ के टुकड़े को तौलिए या मोटे कपड़े में डाल कर बनी पोटली से या जिप लॉक पैक में डाल कर प्रभावित जगह की सिंकाई की जाती है।
चोट दर्द को करे कम : अमूमन हर कोई छोटी-बड़ी चोट या दुर्घटना का शिकार हो जाता है। ऐसे में ब्लीडिंग के साथ दर्द और जलन भी होती है। अगर वहां बर्फ का टुकड़ा या पोटली बनाकर लगाई जाए तो तुरंत आराम मिलेगा। बर्फ रखने से वहां की नसें ठंडी पड़ जाती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेट होना बंद हो जाता है और ब्लीडिंग रुक जाती है। ठंडी बर्फ लगाने से चोट वाली जगह में थोड़ा सुन्नपन आ जाता है, जिससे दर्द भी कम होता है।
सूजन होती है कम: कई बार तो चोट लगने या हैवी वर्कआउट करने से मसल्स फूल जाती हैं या गुम चोट लग जाती है। तब प्रभावित जगह पर सूजन आ जाती है और दर्द होता है। प्रभावित जगह पर अगर आइस-थेरेपी की जाए, तो जल्द आराम मिलता है। बर्फ जहां सूजी हुई मसल्स को संकुचित करती है, वहीं दर्द में भी आराम पहुंचाती है।
बॉडी टेंपरेचर करे कम: आपने देखा होगा कि तेज बुखार होने पर मरीज के माथे पर ठंडे पानी की पटि्‍टयां रखी जाती हैं, जिससे बॉडी टेंपरेचर धीरे-धीरे कम होता है। तेज बुखार को कम करने के लिए आइस-थेरेपी कहीं अधिक कारगर है। इसमें बर्फ से बॉडी के विभिन्न पार्ट्स की सिंकाई की जाती है। गीले तौलिए या मोटे कपड़े में बर्फ के टुकड़े डाल कर बनी पोटली से माथे, पेट की नाभि से नीचे के भाग या पेड़ू पर, दोनों हथेलियों, पैर के तलवे पर घुमाते हुए सिंकाई की जाती है। चूंकि बर्फ में शरीर के टॉक्सिन अवशोषित करने की क्षमता होती है, जिससे आइस-थेरेपी से बुखार-पीड़ित मरीज का टेंपरेचर कम हो जाता है।
जोड़ों के दर्द से दिलाए राहत : आजकल की जीवनशैली के चलते बढ़ती उम्र में अनेक व्यक्ति आर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द की समस्या को झेल रहा है। जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए आइस-थेरेपी काफी मददगार है। इसके लिए सिंकाई वाली दो हॉट वॉटर बोतल लें, जिनमें से एक में गर्म पानी और दूसरी में बर्फीला पानी डालें। पहले गर्म पानी की बोतल से प्रभावित जगह की 2-3 मिनट सिंकाई करें, फिर ठंडी बोतल से। इस तरह 8-10 बार करने पर जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा।
सिर दर्द में मिले आराम : अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर है, तो आए दिन आपको सिर दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता होगा। कई तरह तो मेडिसिन खानी पड़ती होगी। ऐसे लोगों के लिए आइस-थेरेपी में कोल्ड एंड हॉट फुट बाथ फायदेमंद है। इसके लिए एक बाल्टी में बर्फ का पानी और दूसरी बाल्टी में नॉर्मल पानी लिया जाता है। इसमें मरीज को 1:3 सेकेंड के अनुपात में पैर डुबोने के लिए कहा जाता है। यानी 5 सेकेंड के लिए मरीज अपने पैर बर्फीले पानी में डुबोए और 15 सेकेंड के लिए नॉर्मल पानी में डुबो कर रखें। सिर दर्द हो, तो बर्फ को तौलिए में लपेट कर सिर की सिंकाई उतनी देर करें, जितनी देर सहन हो सके। आप राहत महसूस करेंगे।
आंखों की जलन कम करने में सहायक : ऑफिस का काम देर रात तक करने के कारण कई लोग आंखों की जलन, लाल होना, सूजन जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं। इसका भी उपचार साधारण-सी लगने वाली आइस-थेरेपी से किया जा सकता है। आइस-क्यूब्स की पोटली अगर आप अपने माथे या सिर पर थोड़ी देर रख कर सिंकाई करें तो दिन भर की थकान दूर हो जाएगी। यह पोटली आंखों पर 5-10 मिनट के लिए रखने से आंखों में जलन या लालिमा जैसी परेशानियां तो कम होंगी ही, आप रिलैक्स भी हो जाएंगे।
फोड़े के दर्द से दे आराम : उमस भरे इस मौसम और बरसात में कुछ लोगों को शरीर में फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं, जिनमें पस निकलने तक दर्द रहता है। ऐसे में फोड़े की जगह पर कोल्ड-हॉट-कोल्ड सिंकाई करना फायदेमंद है। यानी पहले बर्फीले पानी की पट्टी से सिंकाई करें, फिर गर्म पट्टी से सिंकाई करे और आखिर में बर्फीले पानी की पट्टी से सिंकाई करने पर आराम मिलेगा। फोड़ा सॉफ्ट हो जाएगा और दर्द कम हो जाएगी। बिना किसी परेशानी के फोड़े में मौजूद टॉक्सिन पस निकल जाएगा।
महिलाओं की समस्याओं में कारगर :पीरियड्स के दौरान कई महिलाओं को पेल्विक पेन या यूट्रस में सिस्ट या फाइब्रॉइड्स होने पर तेज दर्द होता है, जिसके लिए उन्हें पेनकिलर मेडिसिन तक लेनी पड़ती हैं। आइस-थेरेपी इन प्रॉब्लम्स में भी मददगार है। दर्द होने पर महिला को बर्फ की पोटली से पेल्विक एरिया में घुमाते हुए 8-10 मिनट सिंकाई करनी चाहिए, इससे उन्हें आराम मिलेगा।
इन बातों का ध्यान रखें
आइस थेरेपी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बर्फ और इस्तेमाल किए जाने वाला कपड़ा साफ हो ताकि किसी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा न रहे। सर्दी-जुकाम, निमोनिया हो या ठंड लग रही हो, तो उन्हें आइस-थेरेपी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
प्रस्तुति: रजनी अरोड़ा
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