दो दिवसीय दंगल के अखाड़े में पहलवानों ने दिखाये दांव-पेंच के जौहर
नेपाल के देवा थापा और राजस्थान के भोलू पहलवान के बीच हुई कुश्ती रही आकर्षण का केंद्र
कछौना, हरदोई: नगर कछौना स्थित यू.जे. लॉन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता विराट कुश्ती दंगल के पहले दिन नेपाल सहित देश के विभिन्न राज्यों से आए नामचीन महिला-पुरुष पहलवानों ने अपने कुशल दांव-पेंच के जौहर का प्रदर्शन किया। विजेता पहलवानों को नगद पुरस्कार देते हुए सम्मानित किया गया।
नगर कछौना के लखनऊ-हरदोई मार्ग स्थित यू.जे. लॉन में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय एकता विराट कुश्ती दंगल का शुभारंभ रविवार को विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल एवं सर्व वैश्य एकता समाज के संरक्षक जगदीश गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। दंगल के पहले दिन आयोजन स्थल पर दर्शकों की बड़ी भीड़ रही। दंगल प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, जम्मू, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और महाराष्ट्र के पहलवानों सहित पड़ोसी देश नेपाल के पहलवान ने भी प्रतिभाग किया। आयोजक मंडल की ओर से दंगल के अखाड़े में पहली कुश्ती राजस्थान के श्री गंगानगर से आये उपेंद्र पहलवान और उत्तर प्रदेश के बरेली जाट रेजीमेंट से आए सोनू पहलवान के बीच कराई गई। दोनों पहलवानों के बीच लगभग आधे घंटे तक चला रोमांचक कुश्ती मुकाबला बिना हार-जीत के बराबरी पर समाप्त हुआ। नेपाल के काठमांडू निवासी पहलवान देव थापा और राजस्थान के भोलू पहलवान के बीच हुई कुश्ती प्रमुख आकर्षण का केंद्र रही। जिसमें नेपाल के छोटे कद के पहलवान देव थापा ने अपने कुशल दांव-पेंच का उम्दा प्रदर्शन कर जीत दर्ज की। वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार निवासी पहलवान राजा कुरैशी ने अपने शायराना अंदाज के साथ-साथ फुर्तीले दांव-पेंच से राजस्थान के श्री गंगानगर निवासी वोल्टा पहलवान के साथ हुए रोमांचक कुश्ती मुकाबले को जीतकर दर्शकों की वाहवाही और तालियाँ बटोरीं।
दो दिवसीय विराट कुश्ती दंगल प्रतियोगिता के पहले दिन आयोजन स्थल दर्शकों से खचाखच भरा रहा। अखाड़े में देश के विभिन्न राज्यों से आए पहलवानों के बीच हुई कुश्ती मुकाबलों का अतिथिगणों, गणमान्य नागरिकों सहित सभी दर्शकों ने भरपूर आंनद उठाया और पहलवानों के हर दांव-पेंच पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका उत्साहवर्धन किया।
दंगल के आयोजन के संयोजक जगदीश गुप्ता ने बातचीत के दौरान बताया कि कुश्ती भारत का पारंपरिक और साहसिक खेल है। रामायण और महाभारत जैसे पौराणिक ग्रंथों में भी मल्ल युद्ध के रूप में कुश्ती के उदित रूप की अमिट छाप मौजूद है। उन्होंने कहा कि भारत की भूमि से उपजे इस पारंपरिक खेल के विविध रूपों के आयोजन से विदेशों में यह काफी लोकप्रिय खेल बन चुका है। लेकिन भारत देश में विदेशी खेलों की लोकप्रियता के आगे भारत देश के पारंपरिक खेल विलुप्त से होते जा रहे हैं। भारतीय संस्कृति की पहचान कुश्ती के इस खेल को भारत में पुनर्जीवित करने के लिए हरियाणा और राजस्थान सरकार की तर्ज पर अन्य राज्य सरकारों को भी पहलवानों का आर्थिक रूप से उत्साहवर्धन करने के साथ उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने के भरसक प्रयास करने होंगे। इसके साथ ही समाज के संपन्न वर्ग के लोगों को भी कुश्ती के आयोजनों को बढ़ावा देने के लिए आगे आना होगा।
दंगल आयोजक कमेटी के प्रमुख संडीला अखाड़ा के बादल पहलवान और बालामऊ निवासी कस्तूरी पहलवान ने आयोजन के संयोजक जगदीश गुप्ता सहित आयोजन को सफल बनाने के लिए बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि सोमवार को दूसरे दिवस विभिन्न प्रांतों के नामी गिरामी महिला-पुरुष पहलवान अखाड़े में अपने दांव-पेंच दिखाएंगे। उन्होंने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि बड़ी संख्या में उपस्थित होकर पहलवानों की कुश्ती का आनंद उठाएं और उनका उत्साहवर्धन कर आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करें।
खेलों के आयोजनों से टीमवर्क करने को प्रोत्साहन मिलता है