मैं भी हूं

in #poem2 years ago

मैं नहीं जानता
कि क्षितिज के उस पार
कहीं कोई और दुनिया भी है
आकाश के ऊपर हैं
और कितने आकाश
कौन रहता है सृष्टि की
लाखों आकाशगंगाओं
करोड़ों सितारों
और असंख्य ग्रहों-उपग्रहों में

मैं उन्हें नहीं जानता
लेकिन उन्हें भी क्या पता
कि पृथ्वी नाम के ग्रह के
किसी एक कोने में
नगण्य-सा एक मैं भी हूं
जिसके अनंत सपनों के आगे
छोटा पड़ जाता है
वह समूचा ब्रह्मांड भी !

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