अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को किया खत्म, भारत में क्या है कानून?

in #wortheum2 years ago

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर यह बहस तेज हो गयी है कि गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त होनी चाहिए या नहीं? भारत में गर्भपात के दौरान होने वाली गड़बड़ियों के कारण हर दो घंटे में एक महिला की मौत होती है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात से जुड़ा एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पांच दशक पुराने अपने एक फैसले को पलटते हुए गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म कर दिया है। 1973 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में फैसला सुनाते हुए गर्भपात को कानूनी करार दिया था। तब कोर्ट की टिप्पणी थी, ”संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है” अब उसी कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में कहा है कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है।… गर्भपात के नियमन को लेकर फैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के पास होना चाहिए।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दुनियाभर में गर्भपात को लेकर बहस तेज हो गई है।
गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त होनी चाहिए या नहीं? भारत में फिलहाल गर्भपात को लेकर क्या कानून है आइए जानते हैं…

भारत में गर्भपात को लेकर क्या है कानून? : कई बार जानकारी के अभाव में असुरक्षित गर्भपात के कारण महिलाओं की जान चली जाती है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भपात के दौरान गड़बड़ी के कारण भारत में हर दो घंटे में एक महिला की मौत होती है। जबकि भारत में गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत गर्भावस्था की दूसरी तिमाही तक गर्भपात करना पूरी तरह लीगल है। हालांकि यह एक्ट महिलाओं को उनके देह पर हक दिलाने के लिए नहीं बल्कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के इरादे से लाया गया था।यही वजह है कि इस एक्ट के तहत गर्भपात का अंतिम फैसला चिकित्सक के हाथ में होता है। इसलिए इस कानून के तहत सिर्फ यह कहकर गर्भपात नहीं करवाया जा सकता है कि गर्भ अनचाहा है। गर्भपात के लिए कोई ऐसा कारण देना होता है जो एमटीपी एक्ट में सूचीबद्ध कारणों से मेल खाता हो। अंततः डॉक्टर ही ये तय करते हैं कि कोई महिला गर्भपात करवा सकती है या नहीं।

मोदी सरकार ने एमटीपी एक्ट में कुछ संसोधन भी किया है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम 2021 के तहत पुराने एमटीपी एक्ट की धारा 3 में संसोधन कर गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन की ऊपरी सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है। सरकार ने ये संसोधन रेप पीड़िताओं और कमजोर महिलाओं को ध्यान में रखकर किया हैabortion.jpg