धर्म ही मनुष्य और पशु में अन्तर बताता है – पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज

in #hardoi2 years ago

IMG-20221018-WA0050.jpgहरदोई :-मानव जीवन को सुव्यवस्थित रखने के लिए सद्ग्रन्थों में वर्णित सिद्धांतों को धारण करना ही धर्म है। धर्म को धारण करने वाला ही मनुष्य की श्रेणी में आता है। और धर्म पथ से च्युत व्यक्ति पशुवत आचरण वाला माना जाता है।
सरस श्रीराम कथा गायन के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध कथावाचक प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने यहां कैम्ब्रिज स्कूल के प्रांगण में चतुर्थ दिवस की कथा का गायन करते हुए उक्त बातें कहीं। पूज्य महाराज श्री ने कहा कि भारत भूमि में धर्म की जड़ें इतनी गहराई तक हैं कि दुनिया के बड़े-बड़े चिंतक भी इसका थाह नहीं पा सके। महाराज जी ने कहा – “कुछ लोग ऐसे बताते हैं कि हम दिन रात पूजा पाठ करते हैं, फिर भी हमारा भला नहीं हो रहा है।” ऐसा कहने वाले शायद अपनी खुद की कमी पर विचार नहीं कर पाते हैं। भगवान किसी के भी कर्म का फल उधार नहीं रखते हैं। और अगर सतकर्म का पुण्य आपको नहीं दिख रहा है तो इसको विधि का विधान माना जाता है अर्थात यह पूर्व जन्मों के कर्मों के प्रभाव से भी होता है। पिछले जन्म में जरूर कोई कर्म बिगड़ा होगा। पूज्य महाराज जी ने कहा कि सनातन धर्म में व्यक्ति को सदा भजन में रहने की शिक्षा बार-बार दी गई है। भजन से पूर्व जन्म के बिगड़े कर्मों के ताप को भी कम किया जा सकता है। धर्म अग्नि स्वरूप है और यही कारण है कि करनी का फल हर हाल में भोगना ही पड़ता है।
धनुष मंग से आगे की कथाऔर श्रीराम विवाह प्रसंग सुनाने के क्रम में पूज्य श्री ने कहा कि सनातन धर्म में विवाह अनुबंध (कांट्रैक्ट) नहीं है, बल्कि विवाह एक ऐसी व्यवस्था है, जो सनातन समाज व्यवस्था का मेरूदंड है। अगर किसी की रीढ़ की हड्डी में जरा सा भी विकार आ जाए तो उसका पूरा जीवन बेकार हो जाता है, उसी प्रकार से विवाह परंपरा के पालन में किसी भी प्रकार की गलती का परिणाम व्यक्ति, समाज और पूरी सनातन संस्कृति पर भारी पड़ता है। पूज्य श्री ने कहा कि आजकल केवल जयमाल को महत्व देने का चलन आ गया है और वैदिक विधान को नजरअंदाज किया जा रहा है जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।
बैकुंठवासी उपेन्द्र तिवारी जी की पावन स्मृति में आयोजित इस विशिष्ट आयोजन की मुख्य यजमान माननीय राज्य मंत्री विशिष्ट जनों सहित हजारों की संख्या में स्थानीय श्रोता इस कथा का आनंद ले रहे हैं। यूट्यूब और फेसबुक पर चल रही लाइव कथा से दुनिया के सौ से भी अधिक देशों में लगभग 25-30 हजार कथा प्रेमी हर रोज जुड़े हैं।