संस्था शब्दाक्षर के तत्वावधान में काव्य दुपहरी का हुआ आयोजन
हरदोई :-राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था शब्दाक्षर के तत्वावधान में जिला उपाध्यक्ष सीमा गुप्ता के नघेटा रोड स्थित आवास पर एक काव्य दुपहरी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात युवा कवि धीरज श्रीवास्तव चित्रांश ने कहा- सारे क्रिया- कलाप निकाले जाएंगे, जीवन भर के पाप खंगाले जाएंगे। वरिष्ठ साहित्यकार अनमोल शुक्ल ने अपनी बात कुछ इस तरह कही, "बरसों से तेरे सपने, आंखों ने जो पाले हैं, ये दर्द उसी का है, उसके ही ये छाले हैं"। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ कवि मदन मोहन पाण्डेय ने देशद्रोह पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि "सारे जो श्रृंगाल एक स्वर में दहाड़ रहे, एक मृगराज मुक्त छोड़ देना चाहिए"। संस्था के जिलाध्यक्ष रामदेव बाजपेई ने व्यवस्था पर चोट करते हुए कहा कि "लेखनी निष्पक्ष हो लिख देश की अपनी कहानी, रो रहा बचपन सड़क पर, ठोकरें खाती जवानी। वरिष्ठ साहित्यकार मनीष कुमार मिश्र ने अपनी बात कुछ इस तरह कही, "ढूंढता बचपन रहा पर मिल न पाया, खेत में अब बीज ऐसे बो रहे हैं"। कार्यक्रम की संयोजक सीमा गुप्ता ने कहा, "मानव मैं के मान में, मद माता चहुं ओर, नही जानता हाथ है, सूत्रधार के डोर"। कवि अनुभव दीक्षित ने कहा कि "ऐसे प्रण का क्या पालन है, जिसमें धर्म चला जाए"। कवयित्री प्रतिमा श्रीवास्तव ने नारियों की स्थिति पर कहा कि "दूजे के मन से मैं नाचूं, मैं तो हूं कठपुतली। नैन नक्श मेरे असली हैं, भाव मगर हैं नकली"। युवा कवि अजय कुमार गुप्ता ने कहा, "सब कुछ पाना याद रहा, पर इतना भी हम भूल गए। ऊपर उठने की चाहत में, हम कितना गिर जाते हैं"। इसके अतिरिक्त शाहाबाद से आए पंकज त्रिपाठी, चंद्रकिरण अग्रवाल, मीरा द्विवेदी, अलका गुप्ता आदि ने भी अपनी शानदार रचनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया। संचालन मनीष कुमार मिश्र ने और आभार प्रदर्शन सीमा गुप्ता ने व्यक्त किया।