सुप्रसिद्ध अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी की पांचवी पुस्तक 'नटी' प्रकाशित
झांसी। 19वीं सदी के बंगाल में वेश्या-अभिनेत्री विनोदिनी दासी ने न केवल समाज की तय की हुई रूढ़ियों को तोड़ा बल्कि अपने खुद के अंधेरे अतीत की छाया से बाहर आने का भी सफल प्रयास किया। एक दिन स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई भेंट के बाद नटी विनोदिनी का स्वयं से साक्षात्कार हुआ और वह अध्यात्म की राह पर चल पड़ी। समय बदला मगर समाज की बनाई रूढ़ियां स्त्रियों के लिए आज भी कमोबेश कायम हैं। ऐसे में इस कहानी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से स्नातक प्रख्यात अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी ने विनोदिनी दासी की कहानी को आधुनिक समय में वर्तमान संदर्भों के साथ नाटक 'नटी' की नायिका मणि मेखला के ज़रिए कहने का प्रयास किया। उन्होंने इस नाटक को न सिर्फ लिखा बल्कि अपने थिएटर ग्रुप 'नाटक कंपनी' के अंतर्गत इसका सफल मंचन भी किया। पाठक इस नाटक की कथा में सिनेमाई छवियों का भी अनुभव कर सकेंगे। अभिनेत्री सुष्मिता मुखर्जी हॉलीवुड / बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री होने के साथ-साथ, बुंदेलखंड हृदय सम्राट/ बुंदेलखंड के गौरव / फिल्म अभिनेता, निर्माता, निर्देशक राजा बुंदेला की धर्मपत्नी है। उनके द्वारा चार पुस्तकों का पूर्व में लेखन किया गया था। यह उनकी पांचवी पुस्तक है जिसको उन्होंने प्रकाशित किया है। इस पुस्तक को लेकर वह काफी चर्चा में बनी हुई है। आपको बता दें कि श्रीमती मुखर्जी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। 40 वर्ष से भी अधिक लंबे अपने अभिनय सफर में उन्होंने रंगमंच, फिल्म, टेलीविज़न, वेब-सीरिज़ जैसे माध्यमों में बहुत यादगार काम किया। अपने थिएटर ग्रुप 'नाटक कंपनी' के लिए उन्होंने दो मूल नाटकों 'नटी' व 'नारीबाई' (एकल नाटक) की रचना की। सुष्मिता मध्यप्रदेश के ओरछा में एक गैर-लाभकारी संगठन 'रुद्राणी कलाग्राम एवं शोध संस्थान' की संस्थापक हैं। जिसके अन्तर्गत राम महोत्सव ओरछा/ओरछा लिटरेचर फेस्टिवल, के साथ ही "बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष “अपने पति राजा बुंदेला के साथ मिलकर "खजुराहो अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल" का अयोजन 10 वर्षों से लगातार कर रही हैं। वह अभिनय के साथ लेखन में भी खूब सक्रिय हैं। उनकी किताबों 'मी एंड जूही बेबी', 'बांझ-इन्कंप्लीट लाइव्स ऑफ कंप्लीट वुमैन', इसके हिन्दी अनुवाद 'बांझ-स्त्री मन के अधखुले पन्ने', कॉफी-टेबल बुक 'ब्रेवआर्ट्स ऑफ बुंदेलखंड' व उपन्यास 'खजुराहो कन्नंड्रम' को काफी पसंद किया गया। अब वह अपनी अगली किताब को पूरा करने में जुटी हुई हैं। सुष्मिता अब एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में 'प्रोफेसर ऑफ प्रक्टिस' के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे रही हैं।