ग्रीष्मकालीन मौसम में किसान दलहनी मूंग व उड़द करे बुवाई- जिला कृषि रक्षा अधिकारी

in #unnao2 years ago

उन्नाव- जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के किसान भाईयों को सूचित करते हुए बताया कि रबी की फसल की कटाई के तुुरंत बाद जायद के मौसम में ग्रीष्मकालीन मूँँग, उर्द व मक्का की फसल उगाकर कमाई कर सकते हैं। रबी के फसल के तुरंत बाद खेत में दलहनी फसल मूँँग व उर्द की बुवाई करने से मिटटी की उर्वरा क्षमता में वृद्धि होती है। इसकी जड़ों में स्थित ग्रंथियों में वातावरण से नाइट्रोजन को मृदा में स्थापित करने वाले सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। इस नाइट्रोजन का प्रयोग मूँँग के बाद बोई जाने वाली फसल द्वारा किया जाता है। रबी फसल की कटाई के तुुरंत बाद मूँँग, उर्द व मक्का की बुवाई करनी है तो पहले खेतो की गहरी जुताई करें। इसके बाद एक जुताई कल्टीवेटर तथा देशी हल से कर भलीभांति पाटा लगा देना चाहिए, ताकि खेत समतल हो जाए और नमी बनी रहे। दीमक को रोकने के लिए 2 प्रतिशत क्लोरोपाइरीफाॅस की धूल 8-10 किग्रा/एकड़ की दर से खेत की अंतिम जुताई से पहले खेत में मिलानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि जायद के मौसम में अधिक गर्मी व तेज हवाओं के कारण पौधों की मृत्युदर अधिक रहती है। अतः खरीफ की अपेक्षा ग्रीष्मकालीन फसल में बीजदर अधिक रखे। फसल उत्पादन की कुल लागत का लगभग 20-30 प्रतिशत भाग अकेले बीज पर ही खर्च हो जाता है। स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए हमें बीजों को बिमारियों से दूर रखना चाहिए जिसके लिए हमें फसलों को बोने से पहले बीजोपचार करना चाहिए। बीजोपचार का उददे्श्य न केवल बीज एवं मृदा जनित बिमारियों की रोकथाम करना होता है वरण जीवित परन्तु सुषुप्त जीवाणुओं के लेप करने के लिये ऐसे माध्यम का प्रयोग करना होता है जो बीज अंकुरण के पश्चात अंकुरित पौधे को एक स्वस्थ एवं ओजपूर्ण विकसित पौधे के लिए नाइट्रोजन एवं स्फुर प्रदान करता है जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। फसलों को बीज जनित एवं मृदा जनित रोगों से बचाने के लिए बीजों कोे बोने से पहले कुछ रासायनिक दवाओं एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता बढाने के लिए कुछ जैव उर्वरको से उपचारित किया जाता है। बुवाई के समय फफूंदनाशक दवा थीरम या कार्बेन्डाजिमद्ध से 2 ग्राम/किग्रा की दर से बीजों को शोधित करें। इसके अलावा राइजोबियम और पी,एस,बी, कल्चर से ;250 ग्रामद्ध बीज शोधन अवश्य करें। मूँँग व उर्द की 10-12 किलोग्राम बीज के लिए यह पर्याप्त है। उन्होंने बताया कि बीज उपचार की विधि:-
बीज को या तो सूखे मिश्रण से उपचारित किया जाता है या फिर बीजो के उपचार हेतु बीज उपचार ड्रम का उपयोग किया जाता है। ड्रम के अन्दर निर्धारित मात्रा में बीज एवं दवा की मात्रा लेकर ड्रम का ढक्कन बंद करके 10-15 मिनट तक घुमाएँ, जब बीज की सतह पर दवा की परत दिखाई दे तब बीजोपचार की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
किसी भी समस्या के निस्तारण हेतु कृषि विभाग में तकनीकी अधिकारियों से तत्काल विकास खण्ड स्तर पर सहायता लें या नि:शुल्क व्हाटसएप नम्बर 9452247111, 9452257111 पर अपना नाम, पता, ग्राम एवं जनपद लिखकर घर बैठे ही तकनीकी सलाह ली जा सकती है।

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