फिर पत्रकार से दो बार मणिपुर के मुख्यमंत्री, जानें पूर्वोत्तर के इस कद्दावर नेता का सफर

in #wortheumnews3 years ago

अमर उजाला आपको बता रहा है कि आखिर एन बीरेन सिंह मणिपुर में इतनी लोकप्रियता कैसे हासिल कर सके हैं और आखिर कैसे उन्होंने राज्य की राजनीति में अपने लिए एक मुख्यधारा की पार्टी के जरिए विशेष स्थान बनाया है। मणिपुर में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की। पार्टी की इस जीत के पीछे एन बीरेन सिंह के चेहरे को बड़ी वजह माना जाता है। सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे मणिपुर की जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं और राज्य की जरूरतों को अच्छी तरह समझते हैं। इसी के चलते भाजपा विधायक दल ने रविवार को हुई बैठक में उन्हें फिर से अपना नेता चुना। ऐसे में अमर उजाला आपको बता रहा है कि आखिर एन बीरेन सिंह मणिपुर में इतनी लोकप्रियता कैसे हासिल कर सके हैं और आखिर कैसे उन्होंने राज्य की राजनीति में अपने लिए एक मुख्यधारा की पार्टी के जरिए विशेष स्थान बनाया है।
कौन हैं एन बीरेन सिंह?
एन बीरेन सिंह का जन्म 1 जनवरी 1961 को मणिपुर की राजधानी इंफाल में हुआ था। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मणिपुर यूनिवर्सिटी से ही बीए की डिग्री हासिल की। लेकिन खेल में ज्यादा रुचि होने की वजह से उन्होंने शुरुआत में फुटबॉल को अपने करियर के तौर पर चुना। बाद में देशसेवा के मकसद से उन्होंने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जॉइन कर ली। यहां भी उन्होंने अपनी खेल की रुचि को आगे बढ़ाया और घरेलू मुकाबलों में अपनी टीम का नेतृत्व करते रहे। उन्होंने डूरंड कप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया है।

फुटबॉल और बीएसएफ में लंबे समय तक सेवा देने के बाद 1992 में बीरेन सिंह की रुचि पत्रकारिता की तरफ बढ़ी और उन्होंने मणिपुर के ही स्थानीय अखबार नाहरोल्गी थोउदांग में नौकरी शुरू की। पत्रकारिता में भी बीरेन सिंह काफी तेजी से आगे बढ़े और 2001 तक वे अखबार में संपादक के पद तक पहुंच गए। यही वह दौर था, जब उन्होंने राजनीति को करीब से देखा और आखिरकार राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए इस क्षेत्र में किस्मत आजमाने का फैसला किया।

कैसा रहा है राजनीतिक करियर?
एन बीरेन सिंह ने 2002 में मणिपुर की डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी जॉइन की। उन्होंने हेनगांग सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। बाद में बीरेन सिंह ने 2003 में कांग्रेस जॉइन कर ली और उन्हें वन और पर्यावरण मंत्रालय मिला। 2007 में एक बार फिर उन्होंने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ओकराम इबोबी सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण मंत्रालय के अलावा युवा मामलों-खेल मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। 2012 में उन्होंने फिर अपनी सीट पर जीत हासिल की और लगातार तीसरी बार विधायक बने। हालांकि, उनकी बढ़ती ताकत से कांग्रेस में ही शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गईं। 2016 में मणिपुर के तत्कालीन सीएम ओकराम इबोबी सिंह से विवाद के बाद बीरेन सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए।

2017 में बने सीएम और भाजपा ने दिया सीएम पद
2017 में एक बार फिर बीरेन सिंह विधायक बने। उनकी इस बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर भाजपा ने उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। 15 मार्च 2017 को शपथ लेने के साथ ही वे राज्य में भाजपा के पहले सीएम बन गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में वे फिर हेनगांग सीट से जीते। यह लगातार पांचवीं बार है, जब उन्होंने अपनी इस सीट पर कब्जा जमाए रखा। उन्होंने कांग्रेस के शरतचंद्र सिंह को इस सीट पर 18 हजार वोटों से हराया।Screenshot_2022-03-20-19-03-04-15.jpg