गुरु दक्षिणा: पूर्व छात्र ने आईआईटी कानपुर को दिया 100 करोड़ का दान....

in #iitkanpur2 years ago

IMG_20220405_091941.JPGआईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र राकेश गंगवाल ने संस्थान को 100 करोड़ की धनराशि दान में दी है। यह अब तक का सबसे बड़ा निजी दान है। इस धनराशि से आईआईटी कानपुर में करीब 1000 एकड़ में एसएमआरटी बनकर तैयार होगा।आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र और इंडिगो एयरलाइंस के को-फाउंडर राकेश गंगवाल ने संस्थान को अब तक का सबसे बड़ा निजी दान दिया है। राकेश गंगवाल ने आईआईटी में बनने वाले स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के निर्माण के लिए 100 करोड़ की धनराशि दान में दी है। इससे पहले जेके सीमेंट ग्रुप की ओर से 60 करोड़ का योगदान दिया गया था।

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने इसकी जानकारी ट्वीटर पर साझा की है। उन्होंने कहा कि इस दान की मदद से एसएमआरटी के कार्य में तेजी आएगी। इसके तहत संस्थान में मल्टी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल भी खुलेगा। आईआईटी कानपुर में खुलने वाले स्कूल ऑफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी में अब इंजीनियरिंग के साथ मेडिकल की भी पढ़ाई और चिकित्सा क्षेत्र की उपयोगिता के मुताबिक शोध किए जाएंगे। साथ ही उपकरण भी तैयार किए जाएंगे। पढ़ाई और शोध के अलावा विभिन्न गंभीर बीमारियों का इलाज भी होगा।संस्थान को तैयार करने में निदेशक पूर्व छात्रों से मदद ले चुके हैं। जिसमें अभी तक पूर्व छात्र मुकेश पंत और हेमंत जालान ने 18-18 करोड़, डॉ. देव जोनेजा ने 19 करोड़, आरईसी फाउंडेशन ने 14.4 करोड़ और जेके ग्रुप की ओर से 60 करोड़ का दान दिया है।

इसी क्रम में निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने सोमवार को मुंबई में इंडिगो एयरलाइंस के को-फाउंडर राकेश गंगवाल से मुलाकात की। राकेश ने संस्थान से वर्ष 1975 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है।
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राकेश ने निदेशक के प्रोजेक्ट को सुनने के बाद 100 करोड़ रुपये अपने संस्थान आईआईटी कानपुर को दान दिया है। संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि अब जल्द निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

एक हजार एकड़ में बनेगा एसएमआरटी
आईआईटी कानपुर में करीब 1000 एकड़ में एसएमआरटी बनकर तैयार होगा। जिसमें 247 एकड़ में अस्पताल होगा। इसकी डिजाइन के लिए हेल्थकेयर प्रबंधन और होसमैक कंपनी को नियुक्त किया गया है। यहां नई दवाओं पर शोध कार्य के साथ मरीजों का इलाज होगा।इन विषयों की होगी पढ़ाई
पहले चरण में कार्डियोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक, यूरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी व आंकोलॉजी समेत कई पीजी पाठ्यक्रम की पढ़ाई होगी। यहां न्यूरोलॉजी, आर्थोपेडिक, लिवर, किडनी व कैंसर जैसे रोगों के इलाज के लिए इंजीनियरिंग की मदद से उपकरण भी विकसित किए जाएंगे। दूसरे चरण में एमबीबीएस में दाखिला होगा।