श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जब है समझौता तो फिर कोर्ट क्यों पहुंचा मामला
मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर और ईदगाह मस्जिद
उत्तर प्रदेश में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह मस्जिद विवाद भी चर्चा में आ गया है.
दरअसल, मथुरा ज़िला कोर्ट ने सिविल कोर्ट (सीनियर डिविज़न) में इस मामले की सुनवाई का आदेश दे दिया है.
सिविल कोर्ट में फरवरी 2020 में याचिका दायर की गई थी कि शाही ईदगाह मस्जिद श्रीकृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बनी हुई है, इसलिए उसे हटाया जाना चाहिए. साथ ही ज़मीन को लेकर 1968 में हुआ समझौता अवैध है.
लेकिन तब इस मामले पर सुनवाई से इनकार करते हुए 30 सितंबर 2020 के आदेश में याचिका को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट का कहना था कि याचिकाकर्ता कृष्ण विराजमान के अनुयायी हैं और कृष्ण विराजमान ख़ुद केस नहीं कर सकते.
इसके बाद हिंदू पक्ष ने मथुरा ज़िला जज कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की. अब मथुरा कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा है कि सिविल कोर्ट इस पर सुनवाई करे.
लेकिन, ये मामला सिर्फ़ साल 2020 से नहीं है बल्कि इसकी जड़ें सालों पुरानी हैं. इस पूरे विवाद को जानने से पहले हम समझते हैं कि मौजूदा समय में क्या स्थिति है और याचिकाकर्ताओं का दावा क्या है.
वर्तमान में मथुरा के 'कटरा केशव देव' इलाक़े को हिंदू देवता श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है. यहां कृष्ण मंदिर बना है और इसके परिसर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद है.
कई हिंदुओं का दावा है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. वहीं, कई मुसलमान संगठन इस दावे को ख़ारिज करते हैं.
साल 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत इस ज़मीन को दो हिस्सों में बांट दिया गया था. लेकिन, सिविल कोर्ट में दी गई याचिका में इस समझौते को अवैध बताया गया है.
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