कॉमनवेल्थ खेल 2022: महिला मुक्केबाज़ नीतू घनघस जिन्हें माना जा रहा है भविष्य की चैंपियन
भिवानी के धनाना गांव की मुक्केबाज़ नीतू घनघस ने दिखाया है कि आपके यदि इरादे बुलंद हों तो किसी भी परिणाम को हासिल किया जा सकता है. पक्के इरादे वाली इस मुक्केबाज़ को बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों की महिला मुक्केबाज़ी के 48 किलोमग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने का मज़बूत दावेदार माना जा रहा है.
नीतू के मुक्केबाज़ी में ग्रेजुएशन की कहानी भी काफी दिलचस्प है. वह इस साल पहली बार विश्व मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में भाग लेने गईं और उनका पहले ही राउंड में देश की महान मुक्केबाज़ एमसी मैरिकॉम की पुरानी रोमानियाई प्रतिद्वंद्वी स्टेलुटा से मुकाबला था.
नीतू ने अपने आक्रामक अंदाज़ से उन्हें धोकर रख दिया. हालांकि नीतू अपने इस अभियान को पदक तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सकीं. उन्हें क्वार्टर फाइनल में एशियाई चैंपियन बाल्कीबियोवा के हाथों 2-3 अंकों से हार का सामना करना पड़ा.
पक्के इरादे ने बनाया मुक्केबाज़
उत्तर भारत के तमाम ग्रामीण इलाकों में आज भी यह सोच है कि लड़कियों की जगह घर में है और इस सोच से नीतू का गांव धनाना भी अछूता नहीं था. पर 2008 में बीजिंग ओलंपिक में भिवानी के ही विजेंदर के मुक्केबाज़ी में कांस्य पदक जीतने से नीतू इस खेल के प्रति इतनी आकर्षित हुईं कि उन्होंने मुक्केबाज़ बनने का फैसला कर लिया.
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