मवेशियों के पीने लायक पानी से ग्रामीण बुझा रहे अपनी प्यास

IMG-20220528-WA0017.jpgमंडला.आज भी ग्रामीण क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है जिला प्रशासन भले ही घर-घर तक पेयजल पहुंचाने की बात करके कार्य कर रहा हो, लेकिन भीषण गर्मी में ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां मवेशियों के पीने लायक पानी से लोग अपनी प्यास बुझा रहे हैं। ऐसा ही मामला निवास से 18 किलोमीटर की दूरी पर देखने को मिल रहा है। जहां तीन दर्जन से अधिक परिवार के लोग मवेशियों के साथ एक झिरिया से अपनी भी प्यास बुझा रहे हैं। इसके लिए भी उन्हें दो किलोमीटर घाट व उबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ता है। प्रशासन से पेयजल की व्यवस्था कराने की गुहार लगाते लगाते थक चुके ग्रामीणों ने अब उम्मीद भी छोड़ दी है। यही कारण है कि दूषित पानी पीने के लिए भी चंदा एकत्रित कर झिरिया की मरम्मत करा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत मसूर घुघरी के पोषक ग्राम डिप्पा टोला की। जहां ग्रामीण वर्षों से ग्रीष्म काल में दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
जानकारी के अनुसार निवास मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित जनपद अध्यक्ष के गृह ग्राम मसूर घुघरी के पोषक ग्राम डिप्पा टोला में पानी के लिए ग्रामीण जल संकट से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया ग्राम पंचायत के साथ स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया गया हैं लेकिन किसी का ध्यान नहीं है। समस्या भले दो चार माह की हो लेकिन गंभीर तो है।
बैठक में आपसी सहयोग की बनाई योजना
जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से उम्मीद छोड़ चुके ग्रामीणों ने अपनी समस्या का हल करने का जिम्मा खुद उठा लिया है। इसके लिए युवा भी आगे आ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले ग्राम के एक घर में बैठक आयोजित की गई। बुजुर्गों से मार्गदर्शन लेकर चंदा एकत्रित करने का निर्णय लिया गया। गांव में 40 परिवार हैं जिनसे 35 हजार रुपए चंदा की राशि एकत्रित की गई। इसके बाद वर्ष 2091-92 में बने डेम को गहरा कराया गया। डेम के बीच में झिरिया बनाई गई जहां से डेम में भरे पानी से कुछ साफ पानी झिरिया में पहुंचने लगा। जिसका उपयोग ग्रामीण अब पीने के पानी के लिए कर रहे हैं। इतना ही नहीं डेम में बचे पानी का उपयोग मवेशी पीने के लिए करते हैं।
गर्मी में ही बढ़ती है समस्या
ग्रामीणों ने बताया की ग्राम में दो हैंडपंप और दो कुआं हैं। जलस्तर कम होने के कारण दोनों हैंडपंप बंद हो गए हैं। एक कुआं पूरी तरह से सूख गया है। दूसरे कुआं में थोड़ा बहुत पानी है लेकिन गंदगी के कारण व पीने योग्य नहीं है। ऐसे में ग्रामीणों के पास डेम के पानी का ही विकल्प बच जाता है। जहां नाम मात्र का पानी है। इसी में ग्रामीणों ने झिरिया का निर्माण किया है। सार्वजनिक कार्यक्रम होने पर निजी टैंकर से पानी खरीदना पड़ता है। सिर्फ पानी की ही नहीं गांव में मार्ग की समस्या भी गंभीर है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के चार माह जब डेम और कुआं में पानी आ जाता है तो सड़क की समस्या झेलनी पड़ती है। कच्ची सड़क के कारण कीचड़ मच जाता है। जिससे गांव तक कोई वाहन नहीं पहुंच पाता। यहां तक की एम्बुलेंस भी नहीं पहुंचता। खाट के माध्यम से प्रसुताओं व गंभीर मरीजों को मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है। भले ही प्रशासन पंचायत चुनाव की तैयारी में जुट गया है। लेकिन चुनाव को लेकर ग्रामीणों में उत्साह नहीं है। बल्कि ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार करते हुए जनपद मुख्यालय पहुंचकर प्रदर्शन करने की बात कही है।
इनका कहना
मेरे संज्ञान में यह मामला पहली बार आया है। मैने पंचायत इंस्पेक्टर को बोल कर टैंकर के माध्यम से परिवहन करने की बात कही है ओर मौके पर जाकर निरीक्षण करने को कहा हैं। यथा स्थिति जानने के बाद समस्या दूर करने का प्रयास किया जाएगा।
दीप्ति यादव, जनपद सीईओ निवास
झिरिया बांध का गहरी करण के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है। एक सार्वजनिक कुआं का निर्माण कराया गया था लेकिन चट्टान के कारण जल स्त्रोत नहीं मिल सका। पीएचई विभाग को सर्वे के लिए बोला था, विभाग ने सर्वे नहीं किया। पेयजल उपलब्ध कराने प्रयास किया जाएगा।IMG-20220528-WA0017.jpg