इफ्तार की राजनीति में कौन मनाएगा 'ईद', आखिर नीतीश के मन में क्या चल रहा है?

in #bihar2 years ago

माना जा रहा है कि भाजपा के साथ जेडीयू के रिश्तों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है और बिहार में नई राजनीतिक परिस्थितियां जन्म ले सकती हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है और आने वाले दिनों में वे क्या कदम उठा सकते हैं? Screenshot_20220502_094430.jpgएक इफ्तार पार्टी ने बिहार की सियासत में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। यह चर्चा तब शुरू हुई जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के द्वारा 28 अप्रैल को आयोजित एक इफ्तार पार्टी कार्यक्रम में पहुंचे। तेजस्वी यादव के इफ्तार पार्टी में उनके पहुंचने को बेवजह नहीं माना जा रहा है और इसके सियासी अर्थ निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब अपनी राजनीतिक पारी में एक नए बदलाव की ओर देख रहे हैं।यह बदलाव वे बिहार में रहते हुए सत्ता के नए समीकरण के रूप में देख रहे हैं या वे अपने लिए केंद्रीय राजनीति में नई भूमिका तलाश रहे हैं, इस पर अभी कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा के साथ जेडीयू के रिश्तों के बीच सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है और बिहार में नई राजनीतिक परिस्थितियां जन्म ले सकती हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार के मन में क्या चल रहा है और आने वाले दिनों में वे क्या कदम उठा सकते हैं? दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरजेडी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। भाजपा को 74 तो नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को केवल 43 सीटें ही प्राप्त हुई थी। लेकिन जब नीतीश कुमार के आरजेडी से मतभेद बढ़े तो जेडीयू ने पाला बदल करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। लेकिन विधानसभा में ज्यादा बड़ा दल होने के नाते भाजपा के नेताओं को लगता है कि बिहार में उनका मुख्यमंत्री होना चाहिए। भाजपा नेताओं की यह महत्त्वाकांक्षा कई बार जाहिर भी हुई।
कथित तौर पर बीजेपी नेता और मंत्री नीतीश कुमार की उपेक्षा कर रहे हैं। इसका सीधा असर बिहार के प्रशासन पर दिखाई पड़ रहा है जहां अधिकारी किसी की बात नहीं सुन रहे हैं और प्रशासनिक भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता जा रहा है। विधानसभा स्पीकर के साथ उनकी बहस को भी इसी कड़ी में देखा गया था। नीतीश कुमार इससे व्यथित हैं। यही कारण है कि माना जा रहा है कि अब नीतीश कुमार एक बार फिर बदलाव की ओर देख रहे हैं।राज्य में भाजपा और जेडीयू में ‘मजबूरी की सरकार’ चल रही है। भाजपा की मजबूरी है कि वह अपने स्तर पर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है। आरजेडी से वैचारिक दूरी के कारण उससे भाजपा का कोई गठबंधन संभव नहीं है। ऐसे में सरकार में रहने के लिए भाजपा को जेडीयू को समर्थन देना उसकी मजबूरी है।वहीं, नीतीश कुमार भी सरकार चलाने के लिए भाजपा के सामने मजबूर होते दिखाई पड़ रहे हैं। यह मजबूरी कई बार शर्मिंदगी की हद पार करते हुए भी दिखाई पड़ रही है, लेकिन नीतीश कुमार फिलहाल सबकुछ बर्दाश्त करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव के इफ्तार पार्टी में शामिल होकर उन्होंने यह संदेश जरूर दे दिया है कि यदि भाजपा नेताओं की तलवारें अपने म्यान में वापस नहीं गईं तो वे दूसरे विकल्प भी तलाश सकते हैं।