अकेलापन का एहसास एक आतंक है।

in #life2 years ago

अकेलापन का एहसास एक आतंक है। जीवन का आतंक। यह न दुःख है, न पीड़ा है, न ही कोई एक्सिडेंट। सोचो,जैसे जीवन एक बड़ा सा जंगल है और बियाबाँ में तुम अकेले घूम रहे हो,यह जानते हुए भी कि हज़ार आँखे तुम्हें देख रही हैं,तुम अकेले रहने के लिए अभिशप्त हो। वह जब घर में रहती हैं, मैं सोचता हूँ कि वह दिन भर क्या सोचती होंगी। जीवन का दोहराव एक बड़ी दुर्घटना है,क्या वह उनके साथ घट रही है। काश जीवन की इस ठंडी और ज़िद्दी सी बेबसी के बीच उनकी तपिश को पकड़ा जा सकता, जिनको समझने वाला कोई नही है, जो अब किसी की संवेदना से पार चले गये हैं, जो हर मदद से परे हो गए हैं।अब उन्हें सुने जाने का मोह नही। नही सुने जाने की पीड़ा नही। है तो बस कुछ ऐसा,जो जीवन के जंगल में वनैले आतंक सा घटता है। एक अजीब सा एहसास - शायद अकेलापन।

आशु