हाईटेक खेती से पानीपत के किसान ने बदली जिंदगी, ताईवान व थाईलैंड किस्म के तरबूज से कमा रहे लाखों
हाईटेक खेती से पानीपत के किसान ने बदली जिंदगी, ताईवान व थाईलैंड किस्म के तरबूज से कमा रहे लाखों
गर्मी की मार झेल रहे हैं। ऐसे में राहत पाने के लिए पेय पदार्थ या रसीले फलों को खाना पसंद करते हैं। गर्मी में तरबूज भी शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए अच्छा रहता है। लेकिन पानीपत में आपको एक नहीं, बल्कि सात तरह के तरबूज मिलेंगे। वो भी ताइवान और थाईलैंड किस्म के। जिन्हें सिवाह गांव के रहने वाले किसान रामप्रताप ने ट्रायल के तौर पर शुरू किया था, लेकिन आज यहीं तरबूज उनकी पहचान बन गए हैं। उनके तरबूज का रंग बाहर से पीला और अंदर से लाल या बाहर से हरा और अंदर से पीला है। इतना ही नहीं, बल्कि एक तरबूज तो ऐसा है कि ही जो अंदर से संतरी रंग का है। शर्मा के स्वादिष्ट तरबूजों का स्वाद चखने के लिए दूर दूर से लोग आ रहे हैं।
हर साल कमा रहे हैं लाखों
जिस खेती को दूसरे लोग घाटे का सौदा कहते हैं। उसी खेती को हाईटेक व आर्गेनिक (सब्जी व फल) तरीके से कर रामप्रताप शर्मा हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं। इसी खेती से उन्हें सम्मान से लेकर विदेश तक पहचान मिली है। उनके आर्गेनिक तरीके से उगाए उत्पादों की मांग बहुत है। उनके विदेशी वैरायटी के लाल व पीले तरबूज खाने की इच्छा रखने वाले लोगों को कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है। उसने बताया कि एक एकड़ में उसका करीब एक लाख रुपया खर्च होता है और तीन से चार लाख रुपये की आमदनी लेते हैं।
26 सालों से करते आ रहे हैं खेती
किसान रामप्रताप शर्मा ने बताया कि करीब 26 साल से खेती करते आ रहे हैं। बागवानी विभाग से प्रोत्साहन मिलने पर छह साल पहले हाईटेक और आर्गेनिक तरीके से सब्जियों व फल की खेती शुरू की। तरबूज, खरबूजा, शिमला मिर्च, अमरूद, टमाटर, तोरी, करेला, मिर्च, पेठा से लेकर ड्रेगन फ्रूट की खेती करते हैं। वो ज्यादा पैदावार की बजाय क्वालिटी में विश्वास रखते हैं। यही कारण है कि उन्हें अपनी सब्जी व फल को बेचने के लिए मंडी में नहीं जाना पड़ता है। लोग उनके खेत में आकर ही सब्जी आदि लेकर जाते हैं।