हाथरस नगर पालिका में एलईडी लाइट की खरीद में लाखों का घोटाला आया सामने,
हाथरस नगर पालिका हाथरस में एलईडी लाइट खरीद में लाखों का घोटाला हुआ है। तत्कालीन ईओ ने बिना टेंडर के ही लाखों की लाइट की खरीद कर डाली। इसे लेकर डीएम ने प्रमुख सचिव नगर विकास को पत्र भेजा है। विगत दिनों नगर पालिका परिषद हाथरस के ईओ लल्लनराम यादव के खिलाफ शिकायत की गई थी कि उन्होंने पालिका में प्रशासक करते हुए नियम विरुद्व दो फर्मों से एलईडी लाइट की खरीद दी। लल्लनराम 19 मई 2017 से 11 अक्टूबर 2017 तक प्रशासक रहे। उन्होंने 17 अगस्त 2017 में 72 वाट स्ट्रीट लाइट एलईडी के दो सौ नग तथा 45 वाट स्ट्रीट लाइट एलईडी के 200 नग की आपूर्ति की जानी थी। इसमें निविदा निकाली लेकिन दो फर्मों की दर एक सामान मिली। ईओ ने दोनों फर्मों का सहमति पत्र लेकर उन्हें आधा आधा काम दे दिया लेकिन ईओ ने निविदा की लाइटें खरीदने के बाद कार्यादेश जारी करके लगातार बिना किसी टंडर किये ही लाखों रुपये की एलईडी लाइट खरीद ली। इस तरह से तत्कालीन ईओ ने छह हजार के करीब एलईडी लाइट बिना टेंडर के खरीद डाली। नगर पालिका चुनाव हुआ और नए अध्यक्ष आ गये। पांच जनवरी 2018 को बोर्डकी पहली बैठक हुई। इसके बाद ईईएसएल को पालिका का विद्युतीकरण का काम मिल गया। तत्कालीन ईओ लल्लनराम यादव के बाद आए ईओ और चेयरमैन ने मैसर्स यूनिर्वसल इलेक्ट्रीकल, मैसर्स पुष्पाजंलि ट्रेडर्स और मैसर्स आरके इलेक्ट्रीकल्स को पांच जून 2019 तक करोड़ों रुपये का भुगतान कर डाला।
शिकायत पर सीडीओ, एक्सईएन जलनिगम, वरिष्ठ कोषाधिकारी, ओसी कलक्ट्रेट ने जांच की। जांच में समिति ने लिखा कि दूसरा कार्यदेश निविदा सूचना के अंतर्गत नहीं आता है। अधिक आपूर्ति प्राप्त करने के लिये पुन निविदा होना नियम संगत है। जांच कमेटी ने लिखा है कि नगर पालिका हाथरस के बोर्ड प्रस्ताव संख्या आठ में दिनाक 29 अप्रैल 2017 द्वारा 2000 नगर 72 वाट एलईडी लाइट और 2000 नग 45 वाट एलईडी लाइट मय फिटिंग के स्वीकृत किया गया था। 17 अगस्त 2017 को आमंत्रित निविदा में 200 नग 72 वाट एलईडी व 200 नग 45 वाट एलईडी मय फिटिंग की आपूर्ति होनी थी। जिसकी संख्या में कमी अथवा अधिकता प्रथम कार्यादेश दिये जाने के समय ही मान्त होती है। जबकि इस निविदा की प्राप्त दरों के आधार पर अन्य कई कार्यादेश बाद की तिथियों में जारी किये जाते रहे है जो नियम व शासनादेश के विपरीत थे। तत्कालीन ईओ लल्लनराम ने लगातार करीब छह हजार लाइटों के कार्यादेश जारी कर डाले। जांच कमेटी ने लिखा है कि वर्ष2017-18,2018-19 में अन्य अधिशासी अधिकारी और निर्वाचित अध्यक्ष द्वारा किये गये है जिनकों रोका नहीं गया है। जांच टीम ने लिखा है कि बाद में अन्य अधिशासी अधिकारियों एवं अध्यक्ष नगर पालिका परिषद द्वारा नियम विरुद्ध किये गये कार्यादेश के सापेक्ष भुगतान किया जाता रहा है जो वित्तीय अनियमितता है। नियम विरुद्व दिये गये कार्यादेशों के सापेक्ष अनुबंध भी नहीं किया। 9 अक्टूबर 2017 को 72 वाट एलईडी लाइट 400 नग, 1500 नग एलईडी लाइट 45 वाट के कार्यादेश दिये गये है जबकि 11 अक्टूबर 2017 को 1400 नग 72 वाट, 300 नग 45 वाट एलईडी लाइट के कार्यादेश दिया जाना संदेह की स्थिति पैदा करता है। प्रशासक काल में नीतिगत अथवा वित्तीय मामलों में निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए था। अत शिकायत की पुष्टि होती है।