मोबाइल ज़ब्त करना निजता का हनन- जासूसी के आरोपी सेना के चार अफसरों का तर्क, गए सुप्रीम कोर्ट

in #wortheum2 years ago

सेना के चार अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसके तहत उन्होंने सैन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने संविधान के तहत उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन किया है। यह चारों अधिकारी कर्नल और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के हैं। अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि जासूसी के एक मामले में जांच के लिए उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और फिर नैतिकता के आधार पर उनमें से तीन को निलंबित कर दिया गया।इन चार में से दो अधिकारी दिल्ली में सैन्य खुफिया निदेशालय में तैनात हैं। जबकि एक वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षक है, वहीं एक अधिकारी मुंबई में तैनात हैचारों सैन्य अधिकारियों का आरोप है कि सेना खुफिया महानिदेशालय के निर्देश पर मार्च में सेना के अधिकारियों ने जांच के नाम पर उनके मोबाइल पर अन्य निजी डिजिटल उपकरण जब्त कर लिए थे।सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार इन अधिकारियों पर संदेह है कि यह “पटियाला पेग” नाम के व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे और इस ग्रुप में पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव द्वारा घुसपैठ की गई थी, जिसमें कुछ जानकारियां साझा की गई थी। याचिका में यह भी दर्शाया गया है कि सेना ने जांच की और इसमें से किसी भी अधिकारी का कोई जासूसी का लिंक नहीं पाया गया। लेकिन फिर भी सेना की साइबर सुरक्षा नीति का उल्लंघन करने के आरोप में तीन को 8 मई को निलंबित कर दिया गया था।द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा उनके निलंबन आदेश की समीक्षा की गई, जिसमें कहा गया है कि बोर्ड ऑफ ऑफिसर्स (बीओओ) ने मोबाइल फोन सहित उनकी डिजिटल संपत्ति की जांच की और इसके अनुसार यह अधिकारी अनैतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे।निलंबन के आदेश में यह भी कहा गया है कि सभी अधिकारी एक ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा थे, जिसमें विदेशी नागरिक भी थे, जो अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते थे।चारों अधिकारियों ने अदालत में याचिका दायर कर अदालत से फैसला सुनाने का अनुरोध किया है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सेना के अधिकारियों से नियमों का पालन किए बिना छीना जा सकता है और क्या उन्हें निजता का अधिकार उपलब्ध है? अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया है कि सेनाकार्यों से उनके मौलिक अधिकार की रक्षा नहीं की गई है और इससे उनके कैरियर पर भी भविष्य में असर पड़ेगा।Untitled-design-13.jpg