नेताओं का प्रवेश बंद के पोस्टर लगाए ग्रामीणों ने

in #madhyapradesh2 years ago (edited)

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सतना। आजादी के 75 साल बीतने के बाद भी कई ऐसे गांव हैं जहां सड़कें नहीं हैं। कुछ गांवों में लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिलता। मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित जुर्मनिया गांव की त्रासदी यह है कि यहां के लोगों को इन दोनों समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नगरीय निकाय चुनावों की घोषणा होते ही इस गांव के लोगों ने जनप्रतिनिधियों और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ग्रामीणों ने पूरे गांव में पोस्टर लगा दिए हैं कि इस गांव में नेताओं का प्रवेश बंद है। उन्होंने यह ऐलान भी कर दिया है कि सड़क नहीं बनी तो वे वोट का बहिष्कार करेंगे।
जुर्मनिया गांव सतना जिले के अमरपाटन जनपद में आता है। यह प्रदेश शासन में राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल के विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इस गांव के लोग पिछले 20 साल से सड़क की आस लगाए बैठे हैं। चुनाव आने पर गांव में आने वाले नेता इसके वादे भी करते हैं, लेकिन नतीजे आने के बाद सारे वादे हवा हो जाते हैं। इस बार निकाय चुनावों की घोषणा होते ही उन्होंने वोट के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है।
जुर्मनिया गांव में सड़क की हालत ऐसी है कि प्री मानसून की हल्की बारिश के बाद से ही लोग घरों से नहीं निकल पा रहे हैं। कच्ची सड़क होने की वजह से सड़कों पर पानी भर गया है। पिछले 20 वर्षों से सड़कों की हालत ऐसी ही है। इस गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं बनी।
सड़क यहां के लोगों की अकेली समस्या नहीं है। बरसात के महीनों में गांव के लोग पानी से परेशान होते हैं तो गर्मी के मौसम में पानी की कमी से। गर्मी आते ही गांव की महिलाओं को पीने के पानी के लिए दूर लगे नल तक जाना पड़ता है। वे अपने सिर पर या साइकिल पर पीने के लिए पानी लेकर आती हैं। इसके लिए उन्हें घंटों मशक्कत करनी पड़ती है। सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद इस गांव में नल का पानी अब तक नहीं पहुंचा।
अपनी समस्याओं से परेशान जुर्मनिया के लोगों ने इस बार अपने घरों के बाहर रोड नहीं तो वोट नहीं के पोस्टर चस्पां कर दिए हैं। गांव में नेताओं का आना मना है के पोस्टर भी पूरे गांव में लगाए गए हैं। ग्रामीणों ने घोषणा कर दी है कि अगर गांव में सड़क नहीं बनी तो वे वोट नहीं डालेंगे।