सीताराम टेक्नोलॉजी” एप्प रीयल-टाइम एक्सेस मशीन पर शोध स्वीकृत हुआ

in #research2 years ago

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50 करोड़ भारतीय युवाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए
अनूपपुर। एक क्लिक पर युवाओं को स्वावलंबी बनाने के सम्पूर्ण जानकारी देने वाला अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए “सीताराम” रियल-टाइम एक्सेस मशीन का डिजाइन और विकास को शोध के लिए पंजीबद्ध किया गया है इसका उद्देश्य 10 ट्रिलियन इकोनोमी की ओर सतत आर्थिक सशक्तिकरण के लिए है। इस हेतु शोध-निदेशक प्रो विकाश कुमार सिंह, अधिष्ठाता संगणक विज्ञान संकाय का मार्गदर्शन प्राप्त है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, प्रज्ञा प्रवाह, दूरसंचार विभाग (डीओटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद द्वारा “भारत के जनजातीय समुदाय को सशक्त बनाने में प्रौद्योगिकी का महत्व” विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के शोध-छात्र चिन्मय पाण्डेय तथा बैधनाथ राम का शोध-पेपर स्वीकार हुआ है। शोध-पेपर का शीर्षक “सीताराम” [(सस्टेनेबल इकोनॉमिक एम्पावरिंग टेक्नोलॉजिकल आर्किटेक्चर ऑफ रीयल-टाइम एक्सेस मशीन): 17 एफ और 6टी आधारित ग्रामीण और जनजातीय अधिकारिता के लिए इनोवेटिव टेक्नोलॉजी] है।
विश्वविद्यालय के शोध-छात्र चिन्मय पाण्डेय तथा बैधनाथ राम ने शोध के सन्दर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि "सीताराम" तकनीक के माध्यम से भारत की जनजातियों की आजीविका और आत्मनिर्भरता के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने और तकनीकी संचार स्थापित करने के लिए, 17 एफ (लोकगीत, लोक साहित्य, लोक कला, लोक परंपरा, लोक उत्सव, लोक संगीत, लोक- गीत, लोक नृत्य, लोक शिल्प, लोक-कथा, लोक चित्र और शिल्प विधान, लोक शास्त्र, लोक भाषा, लोक वाद्ययंत्र, लोक शस्त्र, लोक विज्ञान, लोक गणित और ज्योतिष, लोक चिकित्सा और स्वदेशी ज्ञान, लोक विविधता: का सांस्कृतिक संचार भारत और उत्पादक क्षमता) आधारित सांस्कृतिक विरासत का उपयोग जनजातीय क्षेत्र के सतत आर्थिक सशक्तिकरण के लिए किया जाएगा। नए भारत की जनजातियों को आधुनिक तकनीक के लिए नवीन और स्वदेशी प्रदान करके 6 टी (परंपरा, प्रतिभा, पर्यटन, व्यापार, प्रौद्योगिकी और जनजाति) की अवधारणा को साकार करना है तदनुसार, रीयल-टाइम एक्सेस मशीन के रूप में प्रतिक्रिया देने वाला एक डिजिटल रिपोजिटरी और नॉलेजबेस का निर्माण होगा, “सीताराम” तकनीक एक "ऐप" है जिसके माध्यम से युवा अपने स्थानीय संसाधनों, योग्यता, कौशल और स्वदेशी ज्ञान के आधार पर अपनी उद्यमिता (एमएसएमई) शुरू करने के लिए एक प्लेटफार्म पर चौतरफा समर्थन हासिल कर सकेंगे।
चिन्मय पाण्डेय तथा बैधनाथ राम आगे बताया कि - “सीताराम” तकनीक के माध्यम से उद्यम की स्थापना, परम्परागत ज्ञान के साथ स्वावलंबन-जीवन चक्र के बारे में -1-कंपनी का गठन, 2-पीपीआर / डीपीआर की तैयारी, 3-ईपीसी की तकनीकी जानकारी, 4 संयंत्र और मशीनरी का व्यवहार्यता विश्लेषण, 5-औद्योगिक भूमि/क्लस्टर के आवंटन से संबंधित प्रशिक्षण, 6-राज्य सरकारऔर केंद्र सरकार की योजनाओं का समन्वय, 7-वित्तीय प्रणाली के लिए ऋण लेने की प्रक्रिया, 8-भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्राप्त करने की प्रक्रिया लाइसेंस, 9-मार्केटिंग के लिए ऑनलाइन/ऑफलाइन कंपनी के साथ टाई-अप, 10-एफएमसीजी कंपनी के साथ टाई-अप करके कंपनी की स्थापना, 11-सीताराम टेक्नोलॉजी के माध्यम से निर्यात लाइसेंस, राज्य एवं केन्द्रीय योजनाओं का लाभ लेने जैसी सभी जानकारी प्राप्त कर सकेगा।
चिन्मय पाण्डेय तथा बैधनाथ राम आगे बताया कि - सीताराम टेक्नोलॉजी के माध्यम से सर्वसमुदाय, जनजातीय समुदाय तथा सुदूर इलाकों में रहने वाले युवा साथियों को एक साथ स्वावलंबी बनाने का सबसे उचित माध्यम होगा जिससे स्वावलंबी होकर अनुरोध है की परिकल्पना सार्थक और सिद्ध होती जाएगी और जब अंतिम व्यक्ति का उदय होगा, अंतिम व्यक्ति आर्थिक रूप से समृद्ध और सुखी होगा तब राम राज्य की वास्तविक परिकल्पना साकार होगी और सीताराम टेक्नोलॉजी का अंतिम उद्देश्य रामराज की स्थापना ही है।