शिक्षा की सेवा देकर सेवानिवृत हुए शिक्षक ज्ञानीलाल

in #retired2 years ago

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  • शासकीय माध्यमिक शाला आमाडोंगरी में विदाई समारोह आयोजित

मंडला। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों से पूछा जाने वाला आम सवाल है कि बड़े होकर क्या बनोगे? इस सवाल के जबाव में विद्यार्थियों द्वारा अपने-अपने सपनों की महत्वाकांक्षाएं बताई जाती हैं। कोई डॉक्टर, कोई इंजिनियर, कोई वकील, कोई कलेक्टर तो कोई शिक्षक बनने की बात कहता है, लेकिन शिक्षक बनकर शिक्षा की सेवा करना हर किसी के वश में कहां। अपने विद्यालयीन जीवन में शिक्षक बनने के स्वप्न देखने वाले विद्यार्थियों में से एक हैं ज्ञानीलाल झारिया, जो अपने जीवन के 62 बसंतों में से 42 बसंत तो ज्ञान की देवी सरस्वती की सेवा में लगाकर सेवानिवृत्त हो हुए।

शिक्षक ज्ञानीलाल झारिया 42 वर्षों से शिक्षा की सेवा करते हुए हजारों विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा दी, बल्कि इनमें से कितने ही विद्यार्थी शासकीय सेवक के रूप में अपनी सेवायें दे रहे हैं और बहुत से विद्यार्थी देश और समाज की सेवा अपने अपने स्तर से कर रहे हैं। कठिन से कठिन विषय को अपनी एक अलग ही शैली में बड़े ही रुचिकर शब्दावली और सरल भाषा में समझाने की महारत हासिल करने वाले शिक्षक ज्ञानीलाल झारिया ने आज शासकीय माध्यमिक शाला आमाडोंगरी में अपने सेवाकाल का अंतिम दिन भी व्यतीत कर सेवानिवृत्त हुए। जिसके लिये विद्यालय परिवार के द्वारा बड़ी ही भावभीनी विदाई देते हुए विदाई समारोह का आयोजन किया।

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सेवानिवृत्ति ज्ञानीलाल झारिया ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस दौरान वह भाव विभोर भी हो गए और उन्होंने कहा की आज में जिस सफलता के मुकाम पर पहुंचा हूं, जिसमें मेरी धर्म पत्नी जानकी झारिया का भी साथ हैं जो की एक शिक्षिका है। शिक्षिका होने के साथ वह परिवार पर पूरा ध्यान देती हैं। कार्यक्रम के अंत में बैंडबाजे और आतिशबाजी के साथ शिक्षक की विदाई दी गई। इस दौरान सुनील दुबे, नरेंद्र परोहा, नवीन व्यौहार, एलआर झारिया, दिलीप तिवारी, गौतम जी, राजेश मिश्रा, डॉ. मुकेश दुबे, ज्ञानेद्र धर, अशोक बढग़ैया, राजकुमार चौकसे, लक्ष्मी चक्रवर्ती, वेद प्रकाश, शिक्षिका प्रति वैस, निरंजना दुबे, मेनिका, पूजा गजविये, अशोक पांडे, रोहित चौकसे व परिजन में उनकी पत्नी जानकी झारिया पुत्र धनराज झारियां, लकी व स्कूल का स्टाफ मौजूद रहा।