29 फोन में से 5 में मैलवेयर मिला, कोई सबूत नहीं कि पेगासस के कारण: सुप्रीम कोर्ट

in #india2 years ago

पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट्स के एक पैनल को यह जांच करने का निर्देश दिया था कि सरकार ने विपक्षी नेताओं, सोशल एक्टिविस्टों, बिजनेस टाइकून, न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी के लिए सैन्य-ग्रेड के निजी इजरायली पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं.
नई दिल्ली. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट्स के एक पैनल को यह जांच करने का निर्देश दिया था कि सरकार ने विपक्षी नेताओं, सोशल एक्टिविस्टों, बिजनेस टाइकून, न्यायाधीशों और पत्रकारों की जासूसी के लिए सैन्य-ग्रेड के निजी इजरायली पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि समिति ने पाया कि पेगासस स्पाइवेयर मामले में ‘भारत सरकार ने सहयोग नहीं किया.’ चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि पेश किए गए 29 फोनों में से पांच में मैलवेयर पाया गया था. लेकिन इसके सबूत नहीं मिले हैं कि ये पेगासस के कारण था.पिछले साल भारत में जासूसी के लिए कथित तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों के एक पैनल को यह जांचने का निर्देश दिया था कि क्या सरकार कुछ लोगों की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रही या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि शासन को हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरे के बहाने कुछ भी करने का अधिकार नहीं मिल सकता है. ऐसे मामलों में न्यायपालिका केवल मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती है.सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक तकनीकी समिति ने जनवरी में एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर नागरिकों को आगे आने और पैनल से संपर्क करने के लिए कहा था. पानल ने कहा था कि अगर जिनको संदेह है कि उनके मोबाइल डिवाइस पेगासस मैलवेयर से संक्रमित थे तो वे जांच के लिए आगे आ सकते हैं. सार्वजनिक नोटिस में ऐसे नागरिकों से यह भी कारण बताने के लिए कहा गया था कि वे क्यों मानते हैं कि उनके फोन पर पेगासस से जासूसी हो सकती है. समिति ने नागरिकों से पूछा था कि क्या वे तकनीकी समिति को उस फोन की जांच करने की अनुमति देने की हालत में होंगे.
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