वायुसेना से मिग-21 की 2025 तक हो जाएगी विदाई, 200 से अधिक पायलटों की जान ले चुका है 'उड़ता ताबूत'

in #delhi2 years ago

भारतीय वायु सेना सितंबर में पुराने मिग-21 लड़ाकू विमान के चार बचे स्क्वाड्रनों में से एक को रिटायर करने जा रहा है। वहीं, बचे हुए तीन स्क्वाड्रनों को अगले तीन साल में 2025 तक चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाएगा। इस मामले से जुड़े लोगों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। गुरुवार को राजस्थान में मिग-21 का टू सीटर विमान हादसे का शिकार हो गया। घटना में फाइटर जेट के दोनों पायलटों की मौत हो गई।

अधिकारियों में से एक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि दो महीने में रिटायर होने वाली स्क्वाड्रन श्रीनगर स्थित 51वें स्क्वाड्रन है, जिसे स्वॉर्ड आर्म्स के रूप में भी जाना जाता है। ये वही स्क्वाड्रन है जिसके साल में 2019 में अभिनंदन वर्धमान विंग कमांडर थे। अभिनंदन वर्धमान में अपने पुराने मिग-21 विमान से पाकिस्तान के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान एफ-16 को नियंत्रण रेखा पर एक डॉग फाइट में मार गिराया था। अभिनंदन वर्धमान के वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

अभिनंदन ने एफ-16 को मार गिराया था

अभिनंदन वर्धमान और एफ-16 के बीच डॉग फाइट पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना की ओर से आंतकी कैंपों पर बमबारी करने के एक बाद हुई थी। जहां तक मिग-21 की बात है तो उसका हादसों से पुराना नाता रहा है। इसकी गिनती भारत में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले विमानों में होती है। हाल के वर्षों में मिग-21 के कई विमान दुर्घनाग्रस्त हो चुके हैं। इसलिए इसे अब 'उड़ता ताबूत' भी कहा जाने लगा है।

सोवियत संघ से मिले थे मिग-21

भारतीय वायुसेना को यह विमान साल 1963 में सोवियत संघ यानी रूस से मिला था। अधिकारियों ने कहा कि पिछले छह दशकों के दौरान 400 से अधिक मिग-21 विमान हादसे का शिकार हुए जिसमें करीब 200 पायलटों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हादसों की बात करें तो किसी भी अन्य लड़ाकू विमानों की तुलना में मिग-21 ज्यादा दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। हालांकि, इसके पीछे एक वजह यह भी रही है कि यह विमान बाकियों की तुलना में लंबे समय से सेवा भी दे रहा है।

रिटायर में क्यों हो रही देरी?

एयर स्टाफ के पूर्व सहायक प्रमुख एयर वाइस मार्शल सुनील नैनोदकर (सेवानिवृत्त) ने पहले कहा कि क्या कोई विकल्प था? अपने आसमान की रक्षा के लिए आपके पास निश्चित संख्या में लड़ाकू विमान होने चाहिए। मल्टी रोल वाले लड़ाकू विमानों को शामिल करने में देरी हुई। 126 जेट की अनुमानित आवश्यकता के बजाय केवल 36 राफेल आए। हल्के लड़ाकू विमान की तैनाती भी तय समय से पीछे है और सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों में भी दिक्कतें हैं।

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