तेज बारिश के बीच भी बरकरार रहा हुसैनी जज़्बा, मातमी धून के साथ निकला अलम का जुलूस
शाजापुर। आसमान से तेज बूंदों के साथ बरस रही बारिश में भी अकीदतमंदों का हुसैनी जज़्बा बरकरार रहा और उन्होने
मातमी धुन पर अलम का जुलूस निकाला और शहीदे करबला को याद किया। शहर के मनिहारवाड़ी से रविवार दोपहर करीब 2.30 बजे अलम का जुलूस या हुसैन की सदाओं के साथ शुरू हुआ। जुलूस शुरू होने के थोड़ी ही देर बाद आसमान से बादलों ने झमाझम बरसना शुरू कर दिया, ऐसे में जुलूस में शामिल समाज के लोगों ने या हुसैैन की सदाएं और भी बूलंद करना शुरू कर दी। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष मोहर्रम की आठ तारीख को अलम का जुलूस निकाला जाता है और इसी जुलूस को लेकर मनिहारवाड़ी क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोग ढोल-ताशों के साथ एकत्रित हुए। ढोल ताशों की मातमी धुन पर अलम का जुलूस रवाना हुआ जो नई सडक़, बस स्टैंड, टेंशन चौराहा, काछीवाड़ा, मगरिया चौराहा, सोमवारिया बाजार होता हुआ पुन: मनिहारवाड़ी पहुंचकर संपन्न हुआ। जुलूस में हजारों की संख्या में मुस्लिमजन शामिल हुए और अखाड़े के उस्तादों ने जुलूस में हैरतंगेज करतब भी दिखाए। शहीदे करबला की याद में मुस्लिमजनों ने जुलूस के दौरान सबिल का आयोजन भी किया और इस मौके पर लोगों को शरबत और दूध पिलाया गया। आल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी के जिलाध्यक्ष सज्जाद अहमद कुरैशी ने बताया कि मोहर्रम की आठ तारीख को हजरत अब्बास अलमदार करबला में शहीद हुए थे, जिनकी याद में अलम का जुलूस निकाला जाता है।
सबिल लगाकर पिलाया शरबत और दूध
उल्लेखनीय है कि अलम के जुलूस के दौरान मुस्लिम समाज के लोग आका हुसैन की याद में डूबे हुए चल रहे थे। वहीं जगह-जगह सबिल लगाकर शहीदे करबला के नाम पर दूध और शरबत पिलाया जा रहा था। जुलूस के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस प्रशासन भी पूरी तरह से मुस्तैद रहा और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी जुलूस प्रारंभ होने से लेकर समापन तक समाज के लोगों के साथ डटे रहे।