हिंदुओं के संघर्ष की विजय गाथा बनेगा अयोध्या का राम मंदिर
अयोध्या में बन रही भव्य और विशाल रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के पांच सौ सालों के अनवरत संघर्ष की गाथा ने अंतत: सुखद अनुभूति दिलाई और राम मंदिर का निर्माण पूरी भव्यता से हो रहा है।
दो सालों से चरणबद्ध तरीके दिन-रात हो रहे काम का ही नतीजा रहा कि बुधवार को गर्भगृह के निर्माण की भी शुरुआत हो गई है। यह उस ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम..’के ही संकल्प की परिणति है। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड के प्रसंग में माता सीता की खोज में निकले हनुमानजी के इस संकल्प से प्रेरणा लेकर हिन्दू समाज ने भी संघर्ष का बिगुल बजा रखा था।
मुगल बादशाह बाबर के हुक्म पर 1528 ई. में
ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक मुगल बादशाह बाबर के हुक्म पर 1528 ई. में उसके सेनापति मीरबांकी ने मंदिर तोड़कर मस्जिद तामीर कराई थी। तब से लेकर शुरू हुआ संघर्ष ब्रिटिश काल में चलता ही रहा। अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग समूहों ने एकजुट होकर लगातार दस्तक दी।
श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के तत्वावधान में 1984 में शुरु हुए राम मंदिर आंदोलन से पहले रामजन्मभूमि को लेकर 76 युद्ध की जानकारी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। संतों की अगुवाई में चले राम मंदिर आंदोलन को देशव्यापी बनाने के लिए विहिप के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंह ने एकात्मता यात्रा की शुरुआत की। इसके पहले सीतामढ़ी बिहार से दिल्ली तक रथयात्रा निकाली गई। इस यात्रा के दिल्ली पहुंचने के एक दिन पहले 31 अक्तूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गयी जिसके कारण यात्रा स्थगित हो गयी। यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया गया।
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