आगरा के परिवार में चार पीढ़ी से गायनेकोलाजिस्ट हैं पुरुष, इसी पर केंद्रित है आयुष्मान की नई फिल्म

in #agra2 years ago

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Agra. हमेशा समाज के अनछुए पहलुओं पर बनी फिल्मों में दिखने वाले बालीवुड एक्टर आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) की फिल्म ‘डाक्टर जी’ (Doctor G) शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में वो एक गाइनी डाक्टर की भूमिका में हैं। फिल्म के ट्रेलर में दिखाया जा रहा है कि किस तरह एक पुरुष गाइनी डाक्टर को महिलाओं का इलाज करने और महिलाओं को उनसे इलाज करवाने में समस्याएं आती हैं। फिल्म बेशक सन 2022 में रिलीज हो रही है, लेकिन आगरा के एक डाक्टर परिवार में यह कहानी 1921 में ही लिख दी गई थी। मल्होत्रा परिवार के चार पुरुष पिछले 101 सालों से गायनाकोलोजी के क्षेत्र में सिर्फ डाक्टर बनकर महिला मरीजों का इलाज रहे हैं और अब तक हजारों बच्चे इस दुनिया में ला चुके हैं।

इस तरह गायनिक डॉक्टर के पेशे में आया परिवार:-

राय बहादुर डा. एसएन मल्होत्रा ने 1921 में लाहौर मेडिकल कालेज (Lahore Medical College) से एमबीबीएस (MBBS) करने के बाद इंग्लैड से एमडी-एमएस किया। उसके बाद शिमला के पास प्रेक्टिस शुरू की। शिमला के राजा ने डा. एसएन मल्होत्रा को अपनी टीम में शामिल कर लिया। करौली के राजा उनके भाई थे, उन्होंने डा. मल्होत्रा की तारीफ सुनी तो अपने साथ करौली ले आए। राजा ने उन्हें राजस्थान का प्रिंसिपल मेडिकल आफीसर बना दिया। उसके बाद वे भरतपुर के सीएमओ रहे। 1955 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने आगरा में नर्सिंग होम की स्थापना की।

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आने वाली पीढ़ी ने भी अपनाया पेशा:-

इसके बाद उनके बेटे डा. आरएम मल्होत्रा ने जयपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया और एसएन मेडिकल कालेज से गाइनी की शिक्षा ली। उनकी पत्नी डा. प्रभा मल्होत्रा भी गाइनी डाक्टर रहीं। इसके बाद तीसरी पीढ़ी में डा. नरेंद्र मल्होत्रा व उनकी पत्नी डा. जयदीप मल्होत्रा ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अपनी शिक्षा पूरी की। अब चौथी पीढ़ी में डा. केशव मल्होत्रा और उनकी बहन डा. निहारिका मल्होत्रा भी गायनाकोलोजिस्ट हैं।

शुरुआत में रहती थी महिला मरीजाें में हिचक:-

डा. नरेंद्र मल्होत्रा बताते हैं कि उन्होंने एएमयू (AMU) में ही इंर्टनशिप के दौरान कई बार महिला मरीजों का गुस्सा झेला है। पहली बार चार मुस्लिम महिलाएं इलाज के लिए आईं। डाक्टरनी के बारे में पूछने लगीं तो मैंने कहा आज मैं ही डाक्टरनी हूं। वे गुस्से में बाहर निकल गईं। उन्होंने मुझसे जांच भी नहीं कराई। आज तक ऐसे बहुत से केस फेस किए जब पुरुष गाइनी होने पर मरीज मुझसे हिचके, लेकिन मेरे लिए वे सिर्फ मरीज होती है। एएमयू से गाइनी में पढ़ाई के दौरान मैं पूरे बैच में अकेला पुरुष था।