इराक़ः संसद के भीतर क्यों घुस गए हज़ारों सद्र समर्थक

इराक़ की राजधानी बग़दाद में बुधवार को हज़ारों प्रदर्शनकारी सुरक्षा घेरे को तोड़ संसद के भीतर घुस गए. ये प्रदर्शनकारी शिया मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना मुक़्तदा अल-सद्र के समर्थक थे.

प्रदर्शनकारी मोहम्मद अल-सुदानी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर नामांकन का विरोध कर रहे थे.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया. उस समय संसद में कोई सांसद मौजूद नहीं था.

प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को बगदाद के जिस हाई सिक्योरिटी इलाक़े में धावा बोला वहाँ कई देशों के दूतावास समेत कई अहम इमारतें मौजूद हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी को सुरक्षाबलों से एक सूत्र ने बताया कि सुरक्षाबलों ने शुरुआत में प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की लेकिन बाद में वो संसद में घुस गए.
विरोध प्रदर्शनकारी संसद में टेबल पर चढ़कर गाना गाने लगे और नाचने लगे. तस्वीरों में टेबल पर लेटे और कुर्सियों पर बैठे हुए दिख रहे हैं.

इराक़ के मौजूदा निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी ने विरोध प्रदर्शनकारियों से संसद से बाहर निकलने की अपील की है.
इराक़ में पिछले साल अक्टूबर में हुए संसदीय चुनाव में मुक़्तदा अल-सद्र के गठबंधन को सबसे ज़्यादा सीटें मिली थीं.

मगर देश की राजनीतिक पार्टियों के बीच पिछले नौ महीनों से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है जिसके कारण सरकार का गठन नहीं हो पा रहा है.

पिछले नौ महीने से वहाँ सांसद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को नहीं चुन सके हैं. इस वजह से वहाँ राजनीतिक गतिरोध की स्थिति बन गई है और वहाँ ना कोई राष्ट्राध्यक्ष है ना मंत्रिमंडल.

फ़िलहाल वहाँ निवर्तमान प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-कदीमी की सरकार देश चला रही है.

अगर वहाँ पिछले चुनाव में जीती पार्टियों के बीच राजनीतिक सहमति नहीं हो पाती है तो कदीमी अगला चुनाव होने तक प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं.

इससे पहले 2010 में भी इराक़ में ऐसी ही स्थिति बनी थी जब 289 दिनों के गतिरोध के बाद नूरी अल मलिकी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने.
राजनीतिक गतिरोध की वजह से इराक़ के लिए 2022 का कोई बजट नहीं है जिससे वहाँ बुनियादी ज़रूरत की परियोजनाओं और आर्थिक गतिविधियों के लिए ख़र्च रुक गया है.

इराक़ के लोगों का कहना है कि इस कारण वहाँ कई सेवाएँ रुक गई हैं और लोगों के पास नौकरी नहीं है. उनका कहना है कि ये स्थिति तब है जब वहाँ पिछले पाँच सालों से ना तो कोई लड़ाई हो रही है और दूसरी ओर कच्चे तेल की ऊँची कीमतों की वजह से भरपूर कमाई भी हो रही है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार नासिरिया शहर में रहने वाले एक रिटायर्ड नौकरशाह मोहम्मद मोहम्मद ने कहा, "कोई सरकार नहीं है, और ना ही कोई बजट है, सड़कों पर गड्ढे हैं, बिजली और पानी की किल्लत है, स्वास्थ्य और शिक्षा की हालत भी ख़राब है."
शिया मौलाना मुक़्तदा अल-सद्र ने इराक़ में अमेरिकी दख़ल का विरोध किया था. उन्होंने अक्टूबर में हुए चुनाव में अपने गठबंधन की जीत का दावा किया है.

अक्टूबर 2021 में हुए चुनाव में मुक़्तदा अल-सद्र की पार्टी 73 सीटों के साथ सबसे आगे रही थी. लेकिन, 329 सीटों वाली इराक़ी संसद में सरकार बनाने के लिए 165 सीटें होना ज़रूरी है.

लेकिन, मौलाना सद्र के अन्य दलों के साथ काम करने से इनकार करने के चलते गठबंधन की सरकार का गठन नहीं हो पाया है.

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उनके समर्थक मोहम्मद अल-सुदानी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि वो ईरान के करीबी हैं.

साल 2019 में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सार्वजनिक सेवाओं की स्थिति को लेकर बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक उस समय सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कई लोग मारे गए थे.

मौलाना सद्र के समर्थक एक बार पहले 2016 में भी संसद में घुस चुके हैं.

बुधवार को इराक़ में यूएन मिशन ने कहा कि कि लोगों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है हालांकि, जब तक वो शांतिपूर्ण और क़ानून के दायरे में हो.