संतकबीरनगर में चार दर्जन से अधिक नलकूप हैं खराब

संतकबीरनगर जिले में सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए जनपद के नलकूप भी राहत नहीं दे पा रहे हैं। प्रशासन का निर्देश है कि सभी नलकूपों का नियमित संचालन कराया जाए। लेकिन जिले में ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे नलकूप चालकों का कम होना प्रमुख कारण है। इसके अलावा करीब चार दर्जन नलकूप खराब भी हैं। हालांकि विभाग के आंकड़ों में सभी नलकूप ठीक हैं। जिम्मेदारों का कहना है कि लंबे समय से कोई भी नलकूप खराब नहीं है। लेकिन किसानों की माने तो नलकूपों से खास राहत नहीं मिल पा रही है।

जिले में कुल 514 नलकूप स्थापित हैं। एक नलकूप से करीब 35 से 38 हेक्टेयर तक की सिंचाई हो सकती है। जिन क्षेत्र में नलकूपों की स्थापना है वहां के किसानों को इससे बड़ी राहत मिल सकती थी। लेकिन नलकूप चालकों की कमी इस पर भारी पड़ रही है। हालात यह है कि जिले में मात्र 80 नलकूप चालक ही तैनात हैं। एक नलकूप चालक पर पांच से छह नलकूपों का प्रभार है। इस कारण वह समय से पहुंच नहीं पाते हैं । इनके समय से न पहुंचने के कारण सिंचाई नहीं हो पा रही है।

मेंहदावल संवाद के अनुसार क्षेत्र के आधे नलकूप खराब हैं। क्षेत्र के अधिकांश खेत सिंचाई से वंचित हैं। ये नलकूप पहले तो किसानों के लिए काफी सहायक थे। पिछले कुछ सालों से बिजली की समस्या, रिबोर आदि कारणों से किसान के आवश्यकता के समय इसमें से अधिकांश खराब ही रहते हैं। जिससे किसानों को अपनी फसल की सिंचाई के लिए कठिनाइयों को झेलना पड़ता है। क्षेत्र में 80 प्रतिशत खेत की सिंचाई के लिए कुल 76 नलकूप लगाए गए। इसमें आधे खराब होने की वजह से बेकार पड़े हुए हैं, जिससे 40 प्रतिशत खेती की बिना सिंचाई के ही करनी पड़ती है। इसमें कुछ किसान अपने संसाधनों द्वारा तो सिंचाई कर लेते हैं लेकिन अधिकांश नलकूप से ही सिंचाई पर आधारित होते हैं। कछार में बिजली दिन रात मिलाकर 10 से 12 घंटे ही मिलती है। बखिरा क्षेत्र में दो नलकूप बेलहसा व तिलाठी में हैं। दोनों नलकूप वर्तमान में सही से चल रहे हैं। आस-पास के किसान अपने खेतों की सिंचाई नलकूप से कर रहे हैं।
नाथनगर संवाद के अनुसार कहीं नलकूप बन्द हैं तो कहीं बिजली का संकट है। विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है। क्षेत्र के बन्धुपुर, महुली, सिसवनिया सहित कुछ राजकीय नलकूप तकनीकी खराबी के चलते बन्द हैं। किसानों की माने तो फसल सुख चुकी हैं। ऑपरेटर का कहीं अता-पता नहीं चल रहा है। ऐसे में सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है। परेशानी बढ़ रही है, फिर भी विभाग व्यवस्था दुरुस्त कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।

धनघटा संवाद के अनुसार नलकूप की नाली ध्वस्त होने से सिंचाई कार्य प्रभावित हो रहा है। बारिश के अभाव में जहां धान की फसल सूख रही है, वहीं सरकारी नलकूप भी जवाब देने लगे हैं। पौली ब्लाक के ग्राम पचरा में 50 हेक्टेयर खेत की सिंचाई करने वाला नलकूप पिछले डेढ़ वर्ष से खेतों की सिंचाई करने में असमर्थ हैं। नलकूप की नालियां ध्वस्त हैं, जिससे कार्य प्रभावित है। पिछले एक सप्ताह से नाली की मरम्मत का कार्य शुरू किया गया है। नाली को ठीक करने में अभी पंद्रह दिन का समय लग सकता है, ऐसे में फसलों की सिंचाई करना किसानों के लिए मुश्किल बना है। एक्सईएन नलकूप खण्ड लालचन्द ने कहा कि जिले में लंबे समय से कोई भी नलकूप खराब नहीं है। थोड़े बहुत मोटर खराबी की समस्या आती है तो उसे ठीक करा लिया जाता है। सबसे बड़ा संकट नलकूप चालक का है। मात्र 80 नलकूप चालकों के भरोसे 514 नलकूपों का संचालन कराया जा रहा है।
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